ग्वालियर। एजी ऑफिस पुल की जमीन के मामले में शासन की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता श्री घनश्याम मंगल को केस से हटा दिया गया है। शिकायतकर्ता ने दावा किया है कि श्री घनश्याम मंगल, केंद्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया एवं उनसे संबंधित 19 मामलों में अधिकृत अधिवक्ता हैं। ऐसी स्थिति में एजी ऑफिस मामले में उन्हें शासन की ओर से कमलाराजा चैरिटेबल ट्रस्ट के खिलाफ अधिकृत अधिवक्ता बनाना उचित नहीं है।
एजी आफिस पुल की जमीन का विवाद क्या है पढ़िए
उल्लेखनीय है कि, कमलाराजे चैरिटेबल ट्रस्ट ने जिला कोर्ट में 2018 में एजी आफिस पुल की जमीन को लेकर दावा पेश किया है। ट्रस्ट की ओर से तर्क दिया गया है कि उनकी भूमि पर शासन ने रेलवे ओवर ब्रिज का निर्माण कर दिया गया है। इसलिए इस जमीन का अधिग्रहण का प्रस्ताव तैयार किया जाए, जिससे जमीन का मुआवजा मिल सके। वादगस्त भूमि का 7 करोड़ 55 हजार रुपये 12 प्रतिशत ब्याज के साथ दिलाया जाए। वाद में तर्क दिया है कि 31 दिसंबर 1971 को विजयराजे सिंधिया ने ट्रस्ट का गठन किया था। विजयराजे सिंधिया ने वादग्रस्त भूमि ट्रस्ट को दी थी। जमीन पर किए गए निर्माण पर रोक लगाई जाए।
ट्रस्ट के स्थगन आवेदन का प्रशासन ने जवाब दिया था कि भूमि शासकीय है, जिस पर सड़क बनी हुई है। अब कोर्ट ने तीनों सर्वे नंबर के दस्तावेज पेश करने का आदेश दिया है। प्रशासन की ओर से पैरवी के लिए अतिरिक्त शासकीय अधिवक्ता घनश्याम मंगल उपस्थित हो रहे थे। घनश्याम मंगल सिंधिया देवस्थान ट्रस्ट सहित केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की ओर से जिला न्यायालय में पैरवी कर चुके हैं। सिंधिया के 19 केसों में इनका वकालतनामा पेश है। शिकायतकर्ता संकेत साहू ने आरोप लगाया था कि घनश्याम मंगल तथ्यों को छिपा रहे हैं, जिससे शासन केस हार जाए। इससे शासन को करोड़ों की क्षति हो सकती है। विधि विभाग ने घनश्याम मंगल को दावे से हटाते हुए जांच के आदेश दिए हैं।
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