जबलपुर। ऐसा व्यक्ति जो भ्रष्टाचार का खुलासा करें उसे विसलब्लोअर कहते हैं। जबलपुर जिले में मंझौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हुए चाय बिस्कुट घोटाले का खुलासा करने वाले ब्लॉक प्रोग्राम मैनेजर अमित चंद्रा की शिकायत पर जांच और कार्रवाई करने के बजाय उनका ट्रांसफर कर दिया गया। जब हाईकोर्ट को इसके बारे में पता चला तो उच्च न्यायालय ने तत्काल अमित चंद्रा के स्थानांतरण पर रोक लगा दी एवं BMO डॉक्टर पारस ठाकुर सहित सभी संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है।
जिस गाड़ी का इंजन खराब उसके लिए ₹25000 महीना किराया दिया
मंझोली स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ रहे शिकायतकर्ता अमित चंद्रा ने बताया कि 2021 सितंबर को मैं वेरिफायर ऑफिसर के पद पर पदस्थ हुआ और ई-वित्त सॉफ्टवेयर जो कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का होता है, उसे देखा तो उसमें लाखों रुपए के फर्जी बिल मिले। दस्तावेजों को देखकर जांच की गई तो पता चला कि खटारा गाड़ी को लगवाकर प्रतिमाह 25 हजार रुपए का बिल बनाया गया। इसके अलावा कर्मचारियों की ट्रेनिंग हुई नहीं और चाय, समोसा के नाम पर हजारों रुपए खर्च कर दिए।
25 किलोमीटर दूर से चाय कौन बनाता है, यह तो भ्रष्टाचार है
अमित चंद्रा ने बताया कि चाय, फोटो कॉपी के जो बिल लगे थे, वह मंझौली से 25 किलोमीटर दूर सिहोरा के हैं। इसे देखकर समझ आया कि महज चाय लाने के लिए कर्मचारी क्या मंझौली से सिहोरा जाते थे। चाय, नाश्ता, फोटो कॉपी के सभी बिल सिहोरा के मिले हैं, इसको लेकर जब BMO पारस ठाकुर से पूछा गया तो उन्होंने धमकी देकर चुप रहने को कहा। इसकी शिकायत मैंने मिशन संचालक भोपाल, जबलपुर सीएमएचओ से भी की पर कहीं सुनवाई नहीं हुई। उल्टा मेरे ऊपर ही आरोप लगाकर मेरा ट्रांसफर करवा दिया गया।
हाईकोर्ट ने आरोपी अधिकारियों से जवाब तलब किया
इस ट्रांसफर आर्डर के खिलाफ अमित चंद्रा ने हाईकोर्ट की शरण ली। अमित चंद्रा के अधिवक्ता ने याचिका के साथ वह सभी दस्तावेज भी लगा दिए, जिनके कारण विवाद की स्थिति बनी और अमित चंद्रा का ट्रांसफर किया गया। चाय बिस्कुट का बिल देखकर हाईकोर्ट ने तत्काल अमित चंद्रा के ट्रांसफर ऑर्डर पर रोक लगा दी एवं राज्य सरकार के अलावा संबंधित BMO डॉ. पारस ठाकुर और एनआरएचएम यानी नेशनल रूरल हेल्थ मिशन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
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