जब कोई व्यक्ति अचानक प्रकोपन में आकर किसी व्यक्ति पर सामान्य हमला कर देता है या सामान्य चोट पंहुचा देता है। तब यह अपराध भारतीय दंड संहिता की धारा 334 का होगा। इसके तहत 1 महीने कारावास और ₹500 अर्थदंड (दोनों में से कोई एक अथवा दोनों एक साथ) का प्रावधान है।
सभी साक्ष्य एवं गवाह पुख्ता हैं, तब भी अपराधी दंड से बच सकता है
यह अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय होता है इनकी सुनवाई किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है। यदि अपराध प्रमाणित होने की पूरी गुंजाइश है और सभी साक्ष्य एवं गवाह पुख्ता हैं, तब भी अपराधी दंड से बच सकता है, लेकिन उसे पीड़ित व्यक्ति से क्षमादान मांगना होगा। पीड़ित और हमलावर के बीच वैधानिक समझौता न्यायालय द्वारा स्वीकार किया जा सकता है। आइए जानते हैं कि यह समझौता सीआरपीसी की किस धारा के तहत प्रस्तुत किया जाएगा।
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 320 (1)
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 320 (1) के अनुसार अचानक प्रकोप में आकर सामान्य चोट पहुंचाने का अपराध समझौता योग्य हैं, यह समझौता न्यायालय की बिना आज्ञा के उस व्यक्ति से किया जा सकता है जिसे सामान्य उपहति हुई है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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