जब हम कहीं यात्रा पर जाते हैं तो कुछ समय के लिए हम अपना सामान किसी वाहन, नाव अथवा किसी क्लॉक रूम में रख देते हैं। ऐसी स्थिति में यदि वाहन चालक, नाविक या क्लॉक रूम का संचालक हमारा सामान गायब कर दिया लेकर भाग जाए। कोर्ट में ऐसे व्यक्ति के खिलाफ सभी साक्ष्य उपलब्ध होने के बावजूद यदि दोनों पक्ष राजीनामा कर ले तो क्या ऐसे अपराधी को रिहा कर दिया जाएगा। आइए जानते हैं:-
आईपीसी की धारा 407- सामान्य या गंभीर, कितनी सजा का प्रावधान
इस तरह के मामलों को आपराधिक न्यासभंग कहते हैं। यह मामला आईपीसी की धारा 407 के तहत दर्ज किए जाते हैं। भारतीय दंड संहिता के अनुसार, यह अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध होते हैं इनकी सुनवाई प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है इस अपराध के लिए अपराधी को सात वर्ष की कारावास एवं जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 407 का अपराध एक शमनीय अपराध है जानिए
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा (1) के अनुसार वाहन चालक या घटवाल द्वारा आपराधिक न्यासभंग का अपराध एक समझौता योग्य अपराध है। इसका समझौता बिना न्यायालय की आज्ञा के उस व्यक्ति से किया जा सकता है जिसका समान चोरी किया गया था। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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