जब कोई व्यक्ति संपत्ति की चोरी करता है तो उसे भारतीय दण्ड संहिता की धारा 379 के अंतर्गत दण्डित किया जाता है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति चोर से चोरी की संपत्ति खरीदता हैं या प्राप्त करता है तब ऐसे व्यक्ति को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 411 के अंतर्गत दण्डित किया जाएगा।
आईपीसी की धारा 411 के तहत दर्ज किया गया अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय होता है अर्थात आरोपी की पुलिस थाने में जमानत नहीं हो सकती और ऐसे अपराध को गंभीर अपराध माना जाता है। इसकी सुनवाई का अधिकार किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट हो होता है। सजा- इस अपराध के लिए तीन वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 411 का अपराध एक शमनीय अपराध है जानिए
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा(1) के अनुसार यह अपराध एक समझौता योग्य अपराध हैं इसका समझौता बिना न्यायालय की आज्ञा के उस व्यक्ति से किया जा सकता है जिस व्यक्ति का समान चोरी हुआ था अर्थात संपत्ति के स्वामी से किया जाता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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