न्यायालय के समक्ष जब किसी मामले का विचारण प्रारम्भ होता है तो न्यायालय सुनवाई के समय आरोपियों को बुलवाता है, लेकिन किसी कारण कोई आरोपी उपस्थित नहीं होता है तो वह अपने वकील को भी न्यायालय भेज सकता है। दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 317(1) के अंतर्गत मजिस्ट्रेट इसे मंजूरी दे सकता है। सवाल यह है कि आरोपी का न वकील उपस्थित है, न ही आरोपी स्वयं तब न्यायालय क्या डिसीजन लेगा जानिए।
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 317 की उपधारा 2 की परिभाषा
जब किसी मामले में जब आरोपी का प्रतिनिधित्व करने वाला वकील उपस्थित नहीं है या आरोपी द्वारा वकील नहीं किया जा रहा है। और मजिस्ट्रेट को लगता हैं कि आरोपी की व्यक्तिगत हाजरी भी अवश्य है चाहे वह वकील के माध्यम से क्यों न हो तब मजिस्ट्रेट उन महत्वपूर्ण कारणों को लेखबद्ध कर जाँच एवं विचारण को रद्द कर सकता है एवं ऐसे आरोपी का मामला अलग से सुन सकता है।
"कुल मिलाकर कहें तो दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 317 की उपधारा 01 एवं 02 यह कहती है कि आरोपी का प्रतिनिधित्व एक वकील द्वारा किया जा सकता है एवं न्यायालय आरोपी को अभिमुक्त कर सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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