ज्यादातर लड़ाई झगड़ों में इस प्रकार का अपराध होता है। चांटा मार दिया जाता है, धक्का देते हैं, मुक्का मार देते हैं या किसी भी प्रकार की सामान्य चोट पहुंचा देते हैं, ऐसी चोट जिससे मनुष्य के शरीर को किसी भी प्रकार का खतरा ना हो। इस प्रकार के अपराध को पुलिस IPC- भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 323 के अंतर्गत स्वेच्छाया उपहति करना, दर्ज करती है।
आईपीसी की धारा 323 में अधिकतम सजा
"यह अपराध दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 के अनुसार असंज्ञेय एवं जमानतीय होता है एवं किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा इसकी सुनवाई की जा सकती है, इसके लिए अधिकतम एक वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 323 का अपराध एक शमनीय अपराध होता है जानिए
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 320 (1) के अनुसार सामान्य चोट का अपराध समझौता योग्य है। यह समझौता न्यायालय की बिना सहमति से उस पक्षकार द्वारा किया जा सकता है, जिसे उपहति (चोट) पहुचाई गई है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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