भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 298 ऐसे व्यक्ति जो किसी व्यक्ति के धर्म के खिलाफ अपशब्द कहे या किसी से धर्म की बुराई करे या धर्म के खिलाफ प्रचार प्रसार करे उसे एक वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित करती है। दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की प्रथम अनुसूची के अनुसार यह अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय होते हैं एवं इनकी सुनवाई किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है।
शमनीय एवं अशमनीय अपराध क्या है, जानिए:-
• शमनीय अपराध वह अपराध होते हैं जिनका समझौता पक्षकार द्वारा एक दूसरे की सहमति से या न्यायालय की आज्ञा से किया जा सकता है।
• अशमनीय अपराध वह अपराध होते हैं जिनका समझौता किसी भी हाल में नहीं किया जा सकता है।
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 298 का अपराध शमनीय हैं जानिए
दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 320(1) के अनुसार भारतीय दण्ड संहिता की धारा 298 का अपराध एक समझोता योग्य अपराध है। इस अपराध का समझौता उस व्यक्ति से जिसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुचाई है उससे बिना न्यायालय की अनुमति के पक्षधर कर सकते हैं। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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