यदि मारपीट के बाद किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाए तो पुलिस या तो आईपीसी की धारा 302 के तहत मामला दर्ज करती है अथवा कभी-कभी आईपीसी की धारा 304 के तहत मामला दर्ज करती है। प्रश्न यह है कि यदि मेडिकल में यह साबित हो जाए कि चोट जानलेवा नहीं थी, तब ऐसे मामले के आरोपी को आईपीसी की किस धारा के तहत दंडित किया जाएगा। पढ़िए, इसी तरह की घटनाओं से संबंधित मामलों में न्यायालय के कुछ महत्वपूर्ण निर्णय।
1. लोक अभियोजक बनाम एन. एस. मूर्ति:-
मामले में आरोपी ने अपनी पत्नी के साथ हुए अचानक झगड़े में उसके सिर पर 200 ग्राम का तराजू वाला बाट मारा जिसके कारण पत्नी की मृत्यु हो गई। मेडिकल रिपोर्ट में बताया गया कि मृत्यु साधारण चोट के कारण हुई है। अतः न्यायालय ने आरोपी को मनाव- वध धारा 304 का दोषी नहीं ठहराया एवं आरोपी को 323 के अंतर्गत उपहति का दोषी ठहराया गया।
2. श्री प्रकाश बनाम राज्य:-
मामले में आरोपी ने बालक को पीटा। बालक के शरीर पर चोट के निशान नहीं पाये गये। उसकी तिल्ली बढ़ी होने के कारण आरोपी द्वारा उसे पीटे जाने के कारण उसकी मृत्यु हो गई। न्यायालय ने आरोपी को आईपीसी की धारा 304 के अंतर्गत दोषी न मानकर समय एवं गंभीर चोट के अपराध से दण्डित किया।
3. श्रीदेवी बनाम राज्य:-
मामले में पत्नी ने अपने पति पर ईंट फेंककर मारी जिसके कारण पति की मृत्यु हो गई। मेडिकल रिपोर्ट में सामान्य चोट बताई गई इस मामले में न्यायालय ने आरोपी को हत्या के अपराधी से मुक्त कर दिया एवं सामान्य उपहति का अपराध सिद्ध किया।
"कुल-मिलाकर कहें तो अगर किसी व्यक्ति को सामान्य चोट पहुचाने के उद्देश्य से वार किया जाता है और व्यक्ति अपनी किसी शारीरिक दुर्बलता थोड़ा बीमारी के चलते उस सामान्य चोट से मारा जाता है तब यह ना तो आईपीसी की धारा 302 के तहत सदोष मानव वध होगा और ना ही आईपीसी की धारा 304 के तहत गैर इरादतन हत्या का अपराध माना जाएगा। यह सामान्य उपहति का अपराध मात्र होगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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