कानूनी कार्यवाही को समझना आम लोगों की बस की बात नहीं होती है। बहुत से आरोपी ऐसे भी होते हैं जो पागल या मंदबुद्धि के नहीं होते हैं उसके बाद भी अशिक्षा, अनपढ़ता के कारण न्यायिक कार्यवाही को समझ नहीं पाते हैं ओर निर्णय में वह दोषसिद्ध हो जाते हैं तब क्या उनके अपराध की सुनवाई के लिए एक और मौका दिया जा सकता है जानिए CrPC की महत्वपूर्ण धारा।
CrPC 318- दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 318 की परिभाषा
अगर कोई व्यक्ति पागल या मंदबुद्धि का न होने के बाद भी न्यायालय की कार्यवाही को नहीं समझता है या जाँच, विचारण को भी नहीं समझ पता है और उसे मामले में दोषसिद्ध कर दिया गया है, तब न्यायालय ऐसी परिस्थितियों एवं कारणों को लेखबद्ध कर मामले की रिपोर्ट उच्च न्यायालय (हाईकोर्ट) भेज देगा। उच्च न्यायालय उस दोषसिद्धि मामले मे जैसा ठीक समझे अपना आदेश पारित कर सकता है।
साधारण शब्दों में कहें तो अगर किसी आरोपी को न्यायालय की कार्यवाही समझ में नहीं आई। अज्ञानता के कारण उसे गलती हो गई और उसके कारणों से दोषी घोषित कर दिया गया तब उसी न्यायालय में फिर से सुनवाई नहीं होगी लेकिन उसे एक अवसर दिया जाएगा और उच्च न्यायालय ऐसे मामले की पुनः विचारण या जाँच करवा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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