भोपाल। मध्य प्रदेश के सरकारी विश्वविद्यालयों से संबंधित प्राइवेट कॉलेजों के 45000 विद्यार्थियों के साथ धोखा हो गया है। कॉलेजों में एडमिशन दे दिया गया लेकिन यूनिवर्सिटी ने नामांकन नहीं किया। नतीजा सभी विद्यार्थी इस साल परीक्षा नहीं दे पाएंगे। शिक्षाविद डॉ अवनीश पांडे ने बताया है कि किस प्रकार उनकी साल बचाई जा सकती है।
UG फर्स्ट ईयर में एडमिशन घोटाला क्या है- संक्षिप्त में पढ़िए
न्यू एजुकेशन पॉलिसी के तहत उच्च शिक्षा विभाग द्वारा कक्षा 12वीं पास छात्रों को एडमिशन देने के लिए कॉलेजों को 103 दिन का समय दिया गया था। कॉलेज संचालकों ने एडमिशन की लास्ट डेट निकल जाने के बाद भी स्टूडेंट्स को प्रोविजनल एडमिशन दिया। दावा किया कि एडमिशन की लिंक दोबारा खुलेगी और उनकी प्रक्रिया पूरी कर दी जाएगी। इसके बाद कॉलेजों ने पूरी फीस जमा करवा ली। अब जब परीक्षा का समय नजदीक आया तो पता चला कि नामांकन नहीं हो रहा है। यूनिवर्सिटी ने लिंक ओपन करने से मना कर दिया है। मध्यप्रदेश में ऐसे कुल 45000 स्टूडेंट्स है जो इस प्रकार की धोखाधड़ी का शिकार हो गए हैं। गलती कॉलेज वालों ने की है और सजा विद्यार्थियों को मिल रही है। ध्यान देने वाली बात यह है कि इस मामले में यूनिवर्सिटी की तरफ से कॉलेजों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
कॉलेज वालों का कहना है कि यदि रेगुलर स्टूडेंट के तौर पर परीक्षा देनी है तो, किसी प्राइवेट यूनिवर्सिटी से दिलवा देते हैं। या फिर सरकारी भोज यूनिवर्सिटी से दिलवा देते हैं। अगले साल इसी यूनिवर्सिटी में रेगुलर स्टूडेंट का एडमिशन दिलवा देंगे।
साल बचाने के लिए यूजी फर्स्ट ईयर के स्टूडेंट्स को क्या करना चाहिए
प्रख्यात शिक्षाविद डॉ अवनीश पांडे ने बताया कि, न्यू एजुकेशन पॉलिसी के तहत एक स्टूडेंट अपनी ही यूनिवर्सिटी में प्राइवेट से रेगुलर हो सकता है लेकिन फर्स्ट ईयर किस यूनिवर्सिटी से करने के बाद सेकंड ईयर किसी दूसरी यूनिवर्सिटी से नहीं कर सकता। इसलिए स्टूडेंट्स को चाहिए कि वह उसी यूनिवर्सिटी में प्राइवेट स्टूडेंट के तौर पर परीक्षा फॉर्म भरे और सेकंड ईयर में उसी यूनिवर्सिटी में रेगुलर स्टूडेंट के तौर पर एडमिशन ले लेंगे।
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