जबलपुर। मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय में जिला परियोजना समन्वयक शहडोल के पद से हटाए गए श्री मदन तिवारी की याचिका खारिज हो गई है। उन्होंने हाईकोर्ट से निवेदन किया था कि उन्हें डीपीसी शहडोल के पद से हटाए जाने का आदेश निरस्त किया जाए।
इस मामले में उच्च न्यायालय मध्यप्रदेश के विद्वान न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने जिला परियोजना समन्वयक, शहडोल को वापस उनके मूल विभाग में भेजने की कार्रवाई को उचित करार दिया। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय शहडोल में डीपीसी के पद पर प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ मदन तिवारी ने याचिका दायर कर बताया कि 12 अप्रैल, 2018 को राज्य शिक्षा केंद्र के संचालक ने उन्हें वापस मूल विभाग यानी स्कूल शिक्षा विभाग भेज दिया। इसके बाद शहडोल कलेक्टर ने उन्हें रिलीव कर दिया।
राज्य शासन की ओर से दलील दी गई कि याचिकाकर्ता की सेवाएं प्रतिनियुक्ति पर ली गई थीं। याचिकाकर्ता का यह अधिकार नहीं है कि प्रतिनियुक्ति पर सदा के लिए बना रहे। हाई कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण आदेश में साफ किया कि प्रतिनियुक्ति समाप्त कर किसी अधिकारी या कर्मचारी को उसके मूल विभाग में वापस भेजना किसी भी दृष्टिकोण से अवैधानिक या अनुचित नहीं है।
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