जबलपुर। मध्यप्रदेश शासन की स्कूल शिक्षा व्यवस्था में प्राचार्य का पद प्रमोशन से भरा जाता है। मध्यप्रदेश में पिछले 10 सालों से शासकीय कर्मचारियों की पदोन्नति नहीं की जा रही है। ऐसी स्थिति में पदोन्नति के योग्य शिक्षकों को प्राचार्य पद का प्रभार सौंप दिया गया है। इस प्रकार शासन द्वारा उनसे प्राचार्य पद का काम लिया जा रहा है परंतु प्राचार्य को दी जाने वाली सुविधाएं नहीं दी जा रही है।
मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ ने जारी विज्ञप्ति में बताया की विगत लगभग 10 वर्षो से राज्य कर्मचारियों की पदोन्नति नहीं हो रही है। पदोननति न होने से राज्य के हायर सेकेण्डरी एवं हाईस्कूल में 100 प्रतिशत पदोन्नति भरे जाने वाले प्राचार्य के पद रिक्त हैं, प्राचार्य के पद रिक्त होने की स्थिति में व्याख्याता, उच्च माध्यमिक शिक्षक, शिक्षक, माध्यमिक शिक्षक प्रभारी प्राचार्य / संकुल प्राचार्य का दायित्व निभा रहे हैं। उक्त शिक्षक अपने शैक्षणिक दायित्वों के साथ-साथ ग्रीष्म अवकाश, दशहरा, दीपावली अवकाश, शीतकालीन अवकाश में संकुल प्राचार्य के प्रशासकीय दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं किन्तु, उन्हें नियमित प्राचार्य के समान अर्जित अवकाश की पात्रता नहीं दी जा रही है। शासन द्वारा प्रभारी प्राचार्यों को दोहरे कार्य के बदले अर्जित अवकाश की पात्रता न दिये जाने से इन लोक सेवकों में भारी आक्रोश एवं निराशा व्याप्त है।
संघ के मुकेश सिंह, योगेन्द्र मिश्रा, अजय ठाकुर, सुनील राय, मनीष चौबे, श्यामनारायण तिवारी, राजकुमार सिंह, मुकेश रजक, महेश कोरी, राकेश दुबे, प्रणव साहू, राकेश पाण्डे, गणेश उपाध्याय, धीरेन्द्र सोनी, मो०तारिख, अभिषेक मिश्रा, बृजेश गोस्वामी, सोनल दुबे, देवदत्त शुक्ला, विजय कोष्टी, अब्दुल्ला चिश्चिती, संतोष तिवारी, प्रियांशु शुक्ला, विनय नामदेव, पवन ताम्रकार, आदित्य दीक्षित, विष्णु पाण्डे, मनोज पाटकर आदि ने मांग की है कि प्रभारी प्राचार्यो का दायित्व निभा रहे व्याख्याता, उच्च माध्यमिक शिक्षक, शिक्षक, माध्यमिक शिक्षकों को नियमित प्राचार्य के भांति अर्जित अवकाश की पात्रता दी जावे।
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