जबलपुर। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें मध्य प्रदेश के जिला न्यायालयों में 1255 रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया को सही ठहराया गया था। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी व न्यायाधीश बेला एम त्रिवेदी की युगलपीठ ने अंतरिम आदेश के जरिए आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस आवेदकों को मुख्य परीक्षा में शामिल करने के भी निर्देश दिए। साथ ही हाई कोर्ट प्रशासन को तीन सप्ताह में शपथपत्र पर जवाब पेश करने निर्देशित कर दिया।
मेरिट का अनारक्षित वर्ग में माइग्रेशन भर्ती प्रक्रिया के किस चरण में किया जाएगा
मप्र हाई कोर्ट से याचिका निरस्त होने के बाद उस आदेश को चुनौती देते हुए पुष्पेंद्र कुमार पटैल ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की है। उसकी ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता निखिल नैय्यर, रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह व समृद्धि जैन ने पक्ष रखा। उन्हाेंने अवगत कराया कि मप्र हाई कोर्ट ने यह कहते हुए उसकी याचिका निरस्त कर दी थी कि अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के मेरिट का अनारक्षित वर्ग में माइग्रेशन प्राथमिक नहीं, वरन अंतिम चयन के समय होगा।
विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को यह भी अवगत कराया गया कि इससे पहले हाई कोर्ट की एक अन्य खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि परीक्षा के प्रत्येक चरण मे (प्रारंभिक तथा मुख्य) अनारक्षित सीटों को सिर्फ प्रतिभावान छात्रों से ही भरा जाएगा, चाहे वो किसी भी वर्ग के हो। इस आधार पर तर्क दिया गया कि ओबीसी वर्ग के उम्मीदवार के 81 अंक हासिल करने वाले का चयन नहीं किया गया, वरन अनारक्षित वर्ग के आवेदक को 77 प्रतिशत अंक आने पर भी चयन कर लिया गया।
दलील दी गई कि दो अलग-अलग खंडपीठों ने एक ही मामले में विरोधाभासी आदेश जारी किए है।इसलिए सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की गई है।
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