भोपाल। मध्यप्रदेश के रतलाम जिले में आलोट विधानसभा से कांग्रेस पार्टी के विधायक मनोज चावला पर सरकारी गोदाम से खाद लूटने की FIR दर्ज कराने वाले कर्मचारी भगतराम यदु के तीन वीडियो सुर्खियों में है। कृपया नोट करें कि विधायक मनोज चावला इस समय जेल में है, उनकी जमानत के प्रयास किए जा रहे हैं।
गोदाम के इंचार्ज भगतराम यदु ने आत्महत्या क्यों की
पत्रकार श्री समरथ शर्मा ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि उनके पास 3 वीडियो हैं जिसमें सरकारी खाद गोदाम के इंचार्ज भगतराम यदु, लूट के आरोपी विधायक मनोज चावला के पक्ष के किसी व्यक्ति से बात करते हुए प्रतीत हो रहे हैं। रतलाम पुलिस के लिए यह इन्वेस्टिगेशन का विषय है कि गोदाम के इंचार्ज भगतराम यदु ने आत्महत्या क्यों की। क्या भगतराम पर दबाव बनाया जा रहा था ताकि कांग्रेस विधायक मनोज चावला की जमानत हो सके अथवा दोनों पक्षों की ओर से समान दबाव बनाया जा रहा था और इसके कारण तनाव का स्तर काफी बढ़ गया था।
सरकारी गोदाम के इंचार्ज कर्मचारी भगतराम की बातें-
कई लोग खाद की बोरियां ले गए। वापस भी करवाईं। कुछ बोरियां गई हैं। कसम से झूठ नहीं बोल रहा। मैं तो अपने रिकॉर्ड के हिसाब से बता रहा हूं। गाड़ी भी गई है। इतनी भीड़ में कुछ लोग चीटिंग भी कर जाते हैं, ये भी बता रहा हूं। एक को चार बोरी कल दिया था।
कोर्ट में यही बयान दूंगा कि हो सकता है मेरे लोगों (कर्मचारियों) के द्वारा चीटिंग की गई हो। मैं तो उस समय गिना नहीं था। क्लोज्ड होने के बाद फिजिकली स्टॉक को गिना था। इसमें अंतर आया। मैं थोड़ी बोला कि वही लोग उठाकर ले गए। यह तो साबित तब होता, जब उसी समय गिनता।
मैं तो शुरू से इतना टेंशन में था कि मानसिक संतुलन बिगड़ गया। मन हो गया था कि नौकरी छोड़कर चला जाऊं, लेकिन क्या करता, ये पुलिस FIR जो हो गई। विधायक और उनके परिजन से मेरे अच्छे संबंध हैं। वे मुझे थप्पड़ भी मार देते तो मैं झूठ बोल देता कि कुछ नहीं हुआ, लेकिन क्या करता SP-कलेक्टर आ गए। SDOP अपने साथ बैठाकर ले गई। नेताओं ने भी लूटकांड की घटना के वीडियो सोशल मीडिया पर लाइव चला दिए। ऐसे में भला घटनाक्रम कैसे छिपता। हमारी तो किसी से दोस्ती या दुश्मनी नहीं है।
अपन तो अफरा-तफरी में थे। वहां ढेर था (खाद की बोरियों का), हमारा सेल हो रहा था, वो (किसान) हमारा खरीदा हुआ बोल देते तो क्या कर लेता। अपनी तो मशीन चालू थी, बाद में बंद हुई। जिस दिन विवाद हुआ 651 बोरी बांटी। इस अफरा-तफरी में सामान्य बात है, मेरे से हो सकता है, मानसिक तनाव हो जाता है, उस समय किसान चीटिंग कर रहे थे, दबाव डाल रहे थे कि मेरे इतना बोरी का पैसा नहीं दिया, होता है आम बात है, मैं स्वीकारूंगा...।
नियम ये कहता है कि उस समय वेरिफाई करवा देता, मैंने रजिस्टर में लिखा था, जो दिया था। मैं किसको बोलूं, झूठ बोलूं तो अभी पुलिस मुझे लाठी मारती। SP-कलेक्टर को भेज दिए शिवराज सिंह ने। झूठ बोलकर मैं मरता और। जो है, ऑन रिकॉर्ड है, अब उसमें अपन झूठ बोले, सच बोलें...।
मैंने खुद रोकने का प्रयास किया। नरेंद्र सिंह भैया रहते तो वो नहीं होने देते। क्या मालूम ये कैसे आ गए। किसानों को देखकर डिस्टर्ब हो गया माइंड। भावुक हो गए। चक्काजाम कर देते, धरना दे देते...। अब जो होगा हो जाएगा, मर्डर थोड़ी किए हैं।
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