Madhya Pradesh Government employees, Reservation in promotion case
नई दिल्ली। ग्वालियर हाईकोर्ट के आदेश को स्थगित करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट गई शिवराज सिंह चौहान सरकार को लेने के देने पड़ गए। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से सवाल किया है कि, अनारक्षित वर्ग के कर्मचारियों को अब तक प्रमोशन क्यों नहीं दिया, जबकि सामान्य वर्ग के कर्मचारियों ने ऐसा कोई दंडनीय अपराध नहीं किया है जिसके कारण उनका प्रमोशन रोका जाना चाहिए।
Promotion to unreserved category employees, Supreme Court's question
मामला ग्वालियर हाई कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों का है। पिछले दिनों ग्वालियर हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश शासन के पशुपालन विभाग में कार्यरत डॉक्टरों की एक याचिका पर स्पष्ट किया था कि न्यायालय ने सामान्य वर्ग के कर्मचारियों के प्रमोशन पर कोई रोक नहीं लगाई है। हाईकोर्ट ने शासन को निर्देशित किया था कि सामान्य वर्ग के कर्मचारियों का नियम अनुसार प्रमोशन किया जाए। जब हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं हुआ तो मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को कोर्ट में बुलाकर न्यायालय के आदेश की अवहेलना करने के कारण सजा भुगतने को तैयार रहने के लिए कहा था।
Madhya Pradesh Government Employees, Promotion Dispute
ग्वालियर हाईकोर्ट की कार्रवाई से बचने के लिए मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका प्रस्तुत की थी परंतु तीन जजों की बेंच ने सरकार से ही सवाल कर लिया है कि वह 8 हफ्ते यानी लगभग 2 महीने के भीतर बताए कि उसने सामान्य वर्ग के कर्मचारियों को प्रमोशन देने के लिए क्या किया है। अब तक कितने कर्मचारियों को प्रमोशन दिया है और यदि नहीं दिया तो क्यों नहीं दिया है।
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