मध्यप्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर द्वारा एमपी ट्राईबल डिपार्टमेंट में नियुक्त किए गए शिक्षकों को लोक शिक्षण संचालनालय के अंतर्गत संचालित सरकारी स्कूलों में चॉइस फिलिंग के लिए फिर से पोर्टल ओपन करने के अंतरिम आदेश दिए गए हैं। इसके साथ ही आदेशित किया गया है कि इस याचिका के निराकरण तक फाइनल रिजल्ट घोषित ना किया जाए।
आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में कुल 68 उम्मीदवारों की ओर से प्रस्तुत याचिका क्रमांक wp 2327/2023 में अधिवक्ता श्री रामेश्वर शर्मा ने पक्ष प्रस्तुत किया। उन्होंने हाईकोर्ट को बताया कि जनजातीय कार्य विभाग और लोक शिक्षण संचालनालय, दोनों मध्य प्रदेश के अलग-अलग विभाग के एवं दोनों के बीच में कर्मचारियों की ट्रांसफर नहीं हो सकते। यही कारण है कि प्रक्रिया के दौरान शासन की ओर से जनजातीय कार्य विभाग में नियुक्त कर दिए गए शिक्षक लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा संचालित सरकारी स्कूलों में नियुक्ति चाहते हैं। जिसे आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा एक आदेश जारी करके प्रतिबंधित कर दिया है।
मध्य प्रदेश शिक्षक भर्ती- उम्मीदवारों को चॉइस फिलिंग की स्वतंत्रता
एडवोकेट श्री रामेश्वर शर्मा ने हाई कोर्ट को बताया कि संवैधानिक के अनुच्छेद 14, 16, 19 तथा 21 के तहत यह उम्मीदवारों का मौलिक अधिकार है कि उन्हें किस विभाग में नौकरी करना है। श्री शर्मा ने बताया कि पूर्व में 1 महीने का वेतन जमा करके शिक्षकों को ट्राइबल से डीपीआई में और डीपीआई से ट्राइबल में जाने का मौका दिया गया था। अतः समानता के आधार पर भी याचिकाकर्ताओं के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता।
मध्य प्रदेश शिक्षक भर्ती चॉइस फिलिंग- हाई कोर्ट का अंतरिम आदेश
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता श्री शर्मा के तर्कों से सहमत होते हुए उच्च न्यायालय के विद्वान न्यायाधीश, जस्टिस विवेक अग्रवाल की खंडपीठ ने अंतरिम आदेश जारी कर दिया। इसमें मध्यप्रदेश शासन को निर्देशित किया गया है कि याचिकाकर्ताओं को चॉइस फिलिंग हेतु पोर्टल फिर से ओपन किया जाए तथा याचिका के अंतिम निराकरण तक रिजल्ट जारी न किया जाए।
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