जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने दमोह जिले के जिला शिक्षा अधिकारी श्री एस के मिश्रा के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। मामला लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा ट्रांसफर किए गए एक कर्मचारी को ज्वाइन नहीं कराने का है।
याचिकाकर्ता दमाेह निवासी किशनलाल अहिरवार की ओर से अधिवक्ता अनिरुद्ध पांडे ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता ने संयुक्त संचालक लोक शिक्षण कार्यालय, जबलपुर से अपने गृह नगर दमोह स्वैच्छिक स्थानांतरण लिया था। उसके निवेदन पर आयुक्त लोक शिक्षण से आदेश जारी किया। आदेश मिलने के साथ ही याचिकाकर्ता ने दमोह जाकर ज्वाइनिंग दी। लेकिन डीइओ ने यह कहते हुए वेतन रोक लिया कि उनके कार्यालय में निज सहायक का पद रिक्त नहीं है।
याचिकाकर्ता ने न्यायालय को बताया कि, याचिकाकर्ता का मूल पद शीघ्र लेखक का है, जो वहां रिक्त है। वह इसके साथ ही निज सहायक भी संबोधित मात्र किया जाता है। तीन माह से वेतन रोके जाने के अलावा उसे कार्यमुक्त कर भोपाल रवाना भी कर दिया गया। इस वजह से वह मानसिक व आर्थिक रूप से परेशान हो गया। इसीलिए हाई कोर्ट आया है।
सुनवाई के बाद, न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने जिला शिक्षा अधिकारी (डीइओ), दमोह की कार्रवाई को मनमानी मानते हुए शासन को उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा याचिकाकर्ता शीघ्र लेखक का रोका गया वेतन अविलंब भुगतान करने का आदेश भी दिया गया।
हाई कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 27 मार्च को निर्धारित करते हुए डीइओ को अपने कृत्य के संबंध में शपथ पत्र पर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के लिए कहा है।
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