भोपाल। नियमों को तोड़कर खेलना और गलतियां करना बच्चों की आदत होती है परंतु मध्य प्रदेश में स्कूल शिक्षा से जुड़े दोनों संस्थान (लोक शिक्षण संचालनालय और जनजातीय कार्य विभाग) लगातार नियम तोड़ते हैं और गलतियां करते हैं। शिक्षक पात्रता परीक्षा में माइनस मार्किंग का मामला ही ले लीजिए। पहले लागू किया, फॉर्म भरे हो जाने के बाद परीक्षा से पहले डीपीआई ने रद्द कर दिया लेकिन ट्राइबल वालों ने नहीं किया। आज की स्थिति में मध्य प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा में डीपीआई के अनुसार माइनस मार्किंग नहीं होगी जबकि ट्राइबल के अनुसार माइनस मार्किंग होगी।
MPTET में माइनस मार्किंग का मामला, प्रयोग था या साजिश
श्री अभय वर्मा आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय ने हाल ही में कर्मचारी चयन मंडल को आदेशित किया कि वह रूल बुक में ऋणात्मक मूल्यांकन की शर्त समाप्त कर दें। मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल के चेयरमैन ने भी आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय के OSD की भूमिका में आते हुए आदेश का पालन कर दिया। सवाल यह है कि क्या इस प्रकार से किसी भी समय नियमों को बदला जा सकता है। क्या भर्ती नियमों को बदलने के लिए कोई नियम नहीं है। कहीं ऐसा तो नहीं कि उम्मीदवारों की संख्या कम रखने के लिए साजिश के तहत ऋणात्मक मूल्यांकन घोषित किया गया था और फिर लक्ष्य पूरा हो जाने के बाद परीक्षा से पहले नियम बदल दिया गया। क्या यही कारण है जो जनजातीय कार्य विभाग द्वारा अब तक आदेश जारी नहीं किया गया है, क्योंकि जनजातीय कार्य विभाग के कमिश्नर को इस मामले में विश्वास में नहीं लिया गया था।
अब तो इंटरफेयर करो, कैंडीडेट्स ने शिक्षा मंत्री से कहा
सोशल मीडिया पर शिक्षक पात्रता परीक्षा के कैंडीडेट्स लगातार स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री श्री इंदर सिंह परमार से सवाल कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस मामले में शिक्षा मंत्री को जल देना चाहिए। ऐसा कैसे हो सकता है कि परीक्षा फॉर्म भरे हो जाने के बाद माइनस मार्किंग के नियम को बदल दिया जाए जबकि हजारों उम्मीदवारों ने केवल इसी शर्त के कारण फॉर्म नहीं भरा।
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