भोपाल। नेगेटिव मार्किंग मामले में कमिश्नर डीपीआई के फैसले से मध्य प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा केकई कैंडीडेट्स नाराज हैं। नाराजगी का कारण यह है कि कमिश्नर डीपीआई ने इस बारे में बहुत देरी से फैसला लिया। इधर कमिश्नर का कहना है कि फैसला अपनी प्रक्रिया से लिया गया है और अब कुछ नहीं कर सकते।
परीक्षा से पहले कमिश्नर डीपीआई का मूड बदल गया
मामला शिक्षक पात्रता परीक्षा वर्ग 1 एवं वर्ग 2 में ऋणात्मक मूल्यांकन का है। जब अधिसूचना जारी की गई तब रूलबुक में ऋणात्मक मूल्यांकन का प्रावधान किया गया था। इसका काफी विरोध हुआ परंतु लोक शिक्षण संचालनालय इस मामले में अपने फैसले पर अड़ा रहा। अब 1 मार्च से शिक्षक पात्रता परीक्षा का आयोजन शुरू होने जा रहा है। ऑनलाइन एप्लीकेशन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। कैंडिडेट्स की पढ़ाई भी पूरी हो गई है और रिवीजन चल रहा है। एडमिट कार्ड का इंतजार किया जा रहा है तब कमिश्नर डीपीआई ने अपना फैसला बदल दिया।
श्री अभय वर्मा आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय ने हाल ही में कर्मचारी चयन मंडल को आदेशित किया कि वह रूल बुक में ऋणात्मक मूल्यांकन की शर्त समाप्त कर दें। मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल के चेयरमैन ने भी आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय के OSD की भूमिका में आते हुए आदेश का पालन कर दिया। अब कैंडीडेट्स नाराज हैं। उनका कहना है कि यदि कोई नियम बदलना था तो ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया से पहले बदला जाना चाहिए था। हजारों कैंडिडेट्स ने ऋणात्मक मूल्यांकन की शर्त के कारण आवेदन नहीं किया।
उम्मीदवारों की मांग या कोई दूसरी साजिश है
सवाल यह है कि क्या इस प्रकार से किसी भी समय नियमों को बदला जा सकता है। क्या भर्ती नियमों को बदलने के लिए कोई नियम नहीं है। कहीं ऐसा तो नहीं कि उम्मीदवारों की संख्या कम रखने के लिए साजिश के तहत ऋणात्मक मूल्यांकन घोषित किया गया था और फिर लक्ष्य पूरा हो जाने के बाद परीक्षा से पहले नियम बदल दिया गया।
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