भारत में कानून बनाने की शक्ति केवल संसद के पास है परंतु संसद द्वारा बनाए गए कानून को निरस्त करने की ताकत सुप्रीम कोर्ट के पास है। सिर्फ इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट इतना ताकतवर है कि उसके आदेश, विधि के रूप में मान्य होते हैं और पूरे देश में लागू होते हैं। आइए भारतीय लोकतंत्र के सबसे शक्तिशाली और जिम्मेदार स्तंभ की सबसे खास बात बताते हैं:-
भारत में किसी भी कानून को बनाने के लिए संसद के सत्र का आयोजन किया जाता है। लोकसभा एवं राज्यसभा में विधेयक पेश किया जाता है। संसद के दोनों सदनों में सदस्यगण उस पर विचार विमर्श करते हैं और आवश्यक होने पर संशोधन भी किया जाता है तत्पश्चात उसे राष्ट्रपति महोदय के पास भेजा जाता है। भारत के राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हो जाने के बाद वह विधेयक, कानून बन जाता है और गजट नोटिफिकेशन के साथ लागू हो जाता है। कुल मिलाकर एक कानून बनाने में इतनी लंबी प्रक्रिया का पालन करना होता है लेकिन इससे कहीं अधिक शक्तिशाली होता है। वह न केवल संविधान का उल्लंघन करने वाले कानूनों को शून्य घोषित कर सकता है बल्कि उसके कुछ आदेश कानून बन जाते हैं।
अभिलेख न्यायालय
भारत की न्यायपालिका स्वतंत्र एवं एकीकृत न्यायपालिका हैं एवं यह लोकतंत्र का सर्वोच्च अंग हैं। जब कोई निर्णय, जजमेंट, आदेश, या ऑडर उच्चतम न्यायालय सुना देता है तब वह फैसला एक साक्ष्य के रूप में माना जायेगा एवं वह कानून, विधि बन जाएगा अर्थात उच्चतम न्यायालय की 'अभिलेख न्यायालय' की शक्ति वह शक्ति है जिसमे उच्चतम न्यायालय के किसी भी फैसले को किसी भी जिला कोर्ट, हाईकोर्ट में साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है। उच्चतम न्यायालय का फैसला एक विधि माना जाएगा। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि भारत की न्यायपालिका स्वतः ही एक सर्व-शक्तिशाली हैं। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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