अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि, ओबीसी एडवोकेटस वेलफेयर एसोसिएशन के प्रतिनिधि, सेवानिवृत न्यायधीश राजेंद्र श्रीवास द्वारा सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दाखिल की गई थी। हाईकोर्ट द्वारा याचिका क्रमांक WP 3190/2018 में, दिनांक 23/02/2018 को तत्कालीन मुख्य न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता तथा जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बैच द्वारा पारित निर्णय के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट मे SLP (C) 32872/2018 (सिविल अपील क्रमांक 1514/2023) दाखिल की गई थी। उक्त याचिका की विस्तृत सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एम.आर. शाह तथा जस्टिस सी.टी. रविकुमार की खंडपीठ द्वारा की गई।
याचिका में दलील दी गई थी कि, सुप्रीम कोर्ट द्वारा ऑल इंडिया जजेस एसोसिएशन मामले में दिए गए जजमेंट के अनुसार, 25% पद वकीलों से (direct recruitment from the Bar), 65% पद Civil Judge (Senior Division) के नियमित प्रमोशन से और शेष 10% पद विभागीय परीक्षा के माध्यम से भरे जाएं। सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि मध्य प्रदेश में हाई कोर्ट ने, इस निर्देश का पालन नहीं किया।
सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि मध्यप्रदेश में 740 ADJ पदों पर नियुक्ति के लिए विभागीय परीक्षा का आयोजन किया गया और 10% की जगह 65% से अधिक पद विभागीय परीक्षा के माध्यम से भर दिया जाए। शेष बचे पदों को नियमित प्रमोशन से भर दिया गया। वकीलों (direct recruitment from the Bar) को कोई अवसर ही नहीं मिला।
अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने डिसीजन दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा ADJ के पदों पर की गई नियुक्तियां उनके द्वारा ऑल इंडिया जजेस एसोसिएशन मामले में निर्धारित किए गए दिशा-निर्देशों के विरुद्ध है। अधिवक्ता श्री ठाकुर ने बताया कि इसके बाद अब मध्य प्रदेश हाई कोर्ट को आगामी कार्रवाई करनी है।
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