नई दिल्ली। भारत की संसद के सदन लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान वित्त मंत्रालय की ओर से आए एक जवाब ने भारत सरकार के 5000000 केंद्रीय कर्मचारियों और 6500000 पेंशनर स्कोर लाखों का नुकसान पहुंचा दिया। लोकसभा में बताया गया कि कर्मचारियों का बकाया महंगाई भत्ता अदा नहीं किया जाएगा। उसका उपयोग कोरोनावायरस महामारी से लड़ने में कर लिया गया है।
भारत सरकार के वित्त राज्यमंत्री श्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि केंद्रीय कर्मचारियों को 18 महीने का बकाया महंगाई भत्ता देने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि कोरोनावायरस संक्रमण काल में देश पर भारी वित्तीय दबाव निर्मित हुए। केंद्र सरकार के कुल वित्तीय संसाधनों का बहुत बड़ा हिस्सा कोरोनावायरस महामारी से लड़ने में खर्च हो गया। कर्मचारियों का महंगाई भत्ता भी इसी अभियान में खर्च हो गया है।
वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने इस में केंद्र सरकार की ओर से सफाई देते हुए कहा जनवरी 2020, जुलाई 2020 और एक जनवरी 2021 को जारी महंगाई भत्ते को नहीं देने का फैसला कोरोना महामारी से पैदा हुए आर्थिक क्षति की वजह से लिया गया है। इस फैसले से सरकार ने 34,402.32 करोड़ रुपए धनराशि सरकारी खजाने में बचाई है। उन्होंने कहा महामारी के दौरान जो नुकसान हुआ है, केंद्र सरकार के बकाया डीए न देने के फैसले से देश को महामारी के दौरान हुई वित्तीय क्षति को एक सीमा तक कम करने में मदद मिली है।
पंकज चौधरी ने कहा महामारी काल में केंद्र सरकार को कल्याणकारी योजनाओं के लिए काफी धन का प्रावधान करना पड़ा। इसकी वजह से भारी वित्तीय दबाव निर्मित हुआ, जिसका असर 2020-21 और उसके बाद देखा जा सकता है। इस वजह से केंद्रीय कर्मचारियों के बकाया महंगाई भत्ते का एरियर देना उचित नहीं समझा गया। उन्होंने कहा अब भी केंद्र सरकार का वित्तीय घाटा एफआरबीएम एक्ट के तहत तय स्तर से दोगुना है।
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