साधक नाम जपहिं लय लाएं।
होहि सिद्धि अनिमादिक पाएं।।
सम्पत्ति प्राप्ति के लिए श्री रामचरितमानस की चौपाई
जे सकाम नर सुनहिं जे गावहिं।
सुख सम्पत्ति नानाविधि पावहिं।।
धन प्राप्ति, लक्ष्मी कृपा प्राप्ति के लिए श्री रामचरितमानस की चौपाई
जिमि सरिता सागर मंहु जाही।
जद्यपि ताहि कामना नाहीं।।
तिमि सुख संपत्ति बिनहि बोलाएं।
धर्मशील पहिं जहि सुभाएं।।
जीवन में आत्मिक आनंद की प्राप्ति के लिए श्री रामचरितमानस की चौपाई
सुनहि विमुक्त बिरत अरू विबई।
लहहि भगति गति संपति नई।।
विद्या प्राप्ति के लिए श्री रामचरितमानस की चौपाई
गुरु ग्रह गए पढ़न रघुराई।
अल्पकाल विद्या सब आई।।
ज्ञान प्राप्ति के लिए श्री रामचरितमानस की चौपाई
छिति जल पावक गगन समीरा।
पंचरचित अति अधम शरीरा।।
प्रीति में वृद्धि के लिए श्री रामचरितमानस की चौपाई
सब नर करहिं परस्पर प्रीती।
चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती।।
जीवन की कठिन परीक्षा में सफलता के लिए श्री रामचरितमानस की चौपाई
जेहि पर कृपा करहिं जनुजानी।
कवि उर अजिर नचावहिं बानी।।
मोरि सुधारहिं सो सब भांती।
जासु कृपा नहिं कृपा अघाती।।
विपत्ति से रक्षा के लिए श्री रामचरितमानस की चौपाई
राजिव नयन धरैधनु सायक।
भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।।
संकट से रक्षा के लिए श्री रामचरितमानस की चौपाई
जौं प्रभु दीन दयाल कहावा।
आरतिहरन बेद जसु गावा।।
जपहि नामु जन आरत भारी।
मिंटहि कुसंकट होहि सुखारी।।
विघ्न विनाश के लिए श्री रामचरितमानस की चौपाई
सकल विघ्न व्यापहि नहिं तेही।
राम सुकृपा बिलोकहिं जेही।।