Amazing facts in Hindi about first wedding night
सुहागरात जिसे आजकल वेडिंग नाइट भी कहते हैं, न्यू मैरिड कपल के लिए सबसे स्पेशल इवेंट होता है और इसे यादगार बनाने के लिए काफी खर्चा किया जाता है परंतु अपना प्रश्न यह है कि सुहागरात की परंपरा भारतीय संस्कृति में शास्त्रोक्त है अथवा फिल्मी (सुहागरात है घूंघट उठा रहा हूं मैं...) आइए पता लगाते हैं:-
भारतीय संस्कृति में सुहागरात का कोई उल्लेख नहीं है परंतु शास्त्रों में सौभाग्य रात्रि का उल्लेख जरूर मिलता है। चलिए आपको याद दिलाते हैं कि, विवाह के लिए सुनिश्चित कन्या जिसे दुल्हन भी कहते हैं, को भारतीय संस्कृति में सौभाग्यवती कांक्षिणी कहा जाता है। विवाह के निमंत्रण पत्र पर आपने कन्या के नाम के पहले सौ.कां. लिखा हुआ देखा होगा। इसका अर्थ होता है (चिरकाल तक सौभाग्य अक्षुण्ण बना रहे ऐसी आकांक्षा करने वाली)। सौभाग्य रात्रि इसी क्रम का अगला चरण है।
सौभाग्य रात्रि यानी वह समय जब सौभाग्यवती कांक्षिणी अपने चिरंजीव पति के साथ एकांत में होती है। जीवनसाथी के माध्यम से अपने नए परिवार का परिचय प्राप्त करती है। भविष्य की योजनाओं पर विचार होता है और दोनों प्राणी अपने जीवन का निर्वाह कैसे करेंगे ताकि सभी प्रकार के सुख (परिवार सुख, भौतिक सुख, सांसारिक सुख, संतान सुख, संपत्ति सुख) का भोग करते हुए एक साथ अपनी निर्धारित आयु पूरी करके वृद्धावस्था को प्राप्त होंगे, इस विचार का प्रारंभ किया जाता है।
लोग जिस प्रकार भगवान सहस्त्रबाहु के मंदिर को सास बहू का मंदिर कहते हैं, ठीक उसी प्रकार सौभाग्य रात्रि को सुहागरात कहा जाता है। कुल मिलाकर सुहागरात का मतलब चेहरे पर से घूंघट उठाना नहीं होता बल्कि बुद्धि पर लगे हुए पर्दे को हटाकर एक दूसरे के विचारों को स्वतंत्रता पूर्वक आदान-प्रदान की परंपरा का प्रारंभ करना होता है। पूरी जिंदगी कम्युनिकेशन स्ट्रांग रहे, अंडरस्टैंडिंग बनी रहे, इसकी शुरुआत की जाती है।
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