ग्वालियर। राजमाता और भाजपा को छोड़कर कांग्रेस में शामिल रहे स्वर्गीय माधवराव सिंधिया की जयंती के अवसर पर ग्वालियर में बड़ा कार्यक्रम हुआ। सुबह मैराथन और शाम को भजन संध्या का आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी शामिल हुए। इस अवसर पर बीजेपी-ज्योतिरादित्य और बीजेपी-ओरिजिनल के बीच का संघर्ष खुलकर दिखाई दिया।
जिसने राजमाता और भाजपा को त्यागा, उसकी जयंती कैसे मनाए
दिनांक 10 मार्च 2023 को स्वर्गीय माधवराव सिंधिया की जयंती के अवसर पर मैराथन दौड़ में ज्योतिरादित्य सिंधिया और कुछ सेलिब्रिटी शामिल थे परंतु उनके पीछे सिर्फ सिंधिया समर्थक दौड़ रहे थे। जिनकी घोषित निष्ठा पार्टी नहीं बल्कि ज्योतिरादित्य सिंधिया में है। ग्वालियर में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता इस मैराथन में दौड़ते हुए नजर नहीं आए। उनका कहना था कि, बड़े महाराज का हम भी सम्मान करते हैं परंतु उन्होंने उस समय भाजपा और राजमाता को छोड़कर कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की थी जब उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी। शाम को भजन संध्या में सीन बदल गया। जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आए तो उस कार्यक्रम में भाजपा के कार्यकर्ता और नेता भी शामिल हुए। कुछ ऐसे लोग मंच पर दिखाई दिए जो इन दिनों ज्योतिरादित्य सिंधिया का पार्टी मंच पर खुलकर विरोध कर रहे हैं।
ग्वालियर में भाजपा के अंदर महल से मुक्ति के आंदोलन की तैयारी
ग्वालियर चंबल संभाग में ऐसे नेताओं की संख्या काफी ज्यादा हो गई है जो ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने से नाराज हैं। इनमें से कुछ नेताओं के व्यक्तिगत हित भी प्रभावित हो गए हैं। ग्वालियर के अलावा मध्यप्रदेश के कुछ अन्य इलाकों में भी सिंधिया इफेक्ट दिखाई दिया है।
भाजपा संगठन के प्रति निष्ठा रखने वालों को BJP-J के कार्यकर्ताओं से आपत्ति है क्योंकि वह हमेशा यह प्रदर्शित करते रहते हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया सरकार उनके लिए पार्टी से बड़ा है। मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया के बयान के बाद कैबिनेट मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर द्वारा भरे मंच पर ज्योतिरादित्य सिंधिया के पैरों में माथा रखना, कार्यकर्ताओं को आपत्तिजनक लगा क्योंकि प्रद्युम्न सिंह तोमर, मध्य प्रदेश शासन के कैबिनेट मंत्री हैं।
कुल मिलाकर लामबंदी चल रही है। पार्टी मंच पर केंद्रीय नेताओं को इस बात पर राजी करने के लिए तैयार किया जा रहा है कि, ज्योतिरादित्य सिंधिया के अलावा उनके समर्थकों को महत्व देने की जरूरत नहीं है। वैसे भी ज्योतिरादित्य सिंधिया अब कांग्रेस में वापस नहीं जा सकते। उनका अपना आकर्षण है और उसका उपयोग केंद्रीय स्तर पर किया जाना चाहिए। स्थानीय तनाव को कम करना चाहिए।
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