GWALIOR NEWS- नीतू की मौत मामले में डॉक्टर और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ CBI जांच के आदेश

Bhopal Samachar
ग्वालियर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने विवाहित महिला नीतू गुर्जर की संदिग्ध मृत्यु के मामले में CBI जांच के आदेश दिए हैं। इससे पूर्व नीतू के पिता द्वारा प्रस्तुत की गई याचिका की सुनवाई के दौरान पाया गया कि पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर ने गड़बड़ी की है और इस मामले की इन्वेस्टिगेशन ऑफीसर एवं अन्य पुलिस अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध है। हाईकोर्ट ने CBI को आदेशित किया कि वह सभी बिंदुओं की जांच करें।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया कि नीतू की मौत सांप के डसने से हुई है 

मामला ग्वालियर जिले के हस्तिनापुर थाना क्षेत्र का है। 31 मई 2022 को गांव खोदु का पूरा की रहने वाली नीतू गुर्जर की शादी गांव दयेली के रहने वाले ध्रुव सिंह के साथ हुई थी। ससुराल वाले नीतू से 5 लाख रुपए और एक कार की मांग कर रहे थे, जिसकी पूर्ति ना करने पर उसे प्रताड़ित किया जा रहा था। 10 अक्टूबर 2022 को नीतू की अचानक मृत्यु हो गई। नीतू के परिवार वालों ने दहेज के लिए हत्या का आरोप लगाया परंतु पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया। बाद में दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज किया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया कि नीतू की मौत सांप के डसने से हुई है। 

डॉक्टर ने बिना पोस्टमार्टम किए ही रिपोर्ट बना दी

नीतू के पिता श्री रामनिवास सिंह ने पुलिस की कार्यवाही के खिलाफ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ में याचिका प्रस्तुत की। उनके अधिवक्ता श्री अवधेश सिंह भदोरिया ने दलील दी कि, नीतू गर्भवती थी। 19 सप्ताह का गर्भ होने के बावजूद पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसका यूट्रस हेल्थी बताया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसके गर्भवती होने का कोई चित्र नहीं है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नीतू की मृत्यु का कारण सांप का जहर बताया गया है। नियमानुसार सांप के काटने वाली जगह की स्किन को निकालकर SFL जांच के लिए भेजा जाना चाहिए था परंतु ऐसा भी नहीं किया गया। उच्च न्यायालय में याचिकाकर्ता की ओर से दावा किया गया कि, डॉक्टर ने पोस्टमार्टम नहीं किया बल्कि टेबल पर बैठ कर आरोपियों की मिलीभगत के साथ पोस्टमार्टम रिपोर्ट बना दी है।

याचिकाकर्ता ने थाना पुलिस और जांच अधिकारी पर भी आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि पुलिस ने उनके द्वारा शिकायत करने के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं की। उनके द्वारा जो भी जानकारी पुलिस को उपलब्ध कराई गई पुलिस ने उसका कोई उपयोग नहीं किया। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलीलों से सहमत होते हुए यह मामला CBI को सौंपने के आदेश दे दिए ताकि इस घटनाक्रम की निष्पक्ष जांच हो सके। जांच के बिंदुओं में डॉक्टर एवं पुलिस की भूमिका का पता लगाना भी शामिल है। यदि डॉक्टर एवं पुलिस के अधिकारी दोषी पाए गए तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। 

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