ग्वालियर। 600 करोड़ के महल के मालिक केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के ट्रस्ट (कमला राजे चैरिटेबल ट्रस्ट) ने व्यापक जनहित में उपयोग हो रहे जी ऑफिस पुल की जमीन को अपना बताते हुए 7 करोड रुपए मुआवजा मांगा है। सरकारी वकील ने दावा किया कि, दावे की फाइल में ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन ही नहीं है। कोर्ट ने दोस्त की वैधानिकता साबित करने के लिए 25 मार्च तक का समय दिया है।
कमला राजे ट्रस्ट ने गठन के 47 साल बाद मुआवजा मांगा
ग्वालियर का एजी ऑफिस पुल, व्यापक जनहित का प्रोजेक्ट है। यह सिटी सेंटर को हरिशंकरपुरम इलाके से सीध जोड़ता है। लाखों लोगों को इससे लाभ होता है। कमलाराजे चैरिटेबल ट्रस्ट जिसकी चेयरमैन केंद्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की माताजी माधवी राजे सिंधिया है और सदस्यों में स्वयं श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती प्रियदर्शनी राजे सिंधिया शामिल हैं। 4 जून 2018 को ट्रस्ट ने न्यायालय में दावा किया गया है कि राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने 31 दिसंबर 1971 को कमला राजे चैरिटेबल ट्रस्ट का गठन किया था। उन्होंने ट्रस्ट को जो संपत्ति दी थी उसमें वह जमीन भी शामिल है जिस पर एजी ऑफिस पुल बना हुआ है।
सिंधिया के ट्रस्ट ने दावे में दस्तावेज ही नहीं लगाएं
गठन के 47 साल बाद ट्रस्ट ने दावा किया है कि उनकी जमीन का अधिग्रहण किए बिना शासन ने अवैध रूप से अतिक्रमण करके पुल बना लिया है। उसका विधिवत अधिग्रहण किया जाए और उन्हें 7 करोड रुपए मुआवजा एवं 47 साल का 12% ब्याज अदा किया जाए। सिंधिया के ट्रस्ट में इस जमीन पर किसी भी प्रकार के निर्माण को रोकने के लिए स्थगन आदेश मांगा था जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया। सरकारी वकील ने बताया कि ट्रस्ट की तरफ से जो दावा किया गया है उन दस्तावेजों में ट्रस्ट के रजिस्ट्रेशन के दस्तावेज नहीं है। अतः यह दावा विचार योग्य नहीं बनता।
कोर्ट ने सिंधिया के ट्रस्ट को 25 मार्च तक का समय दिया है कि वह अपनी वैधानिकता और संपत्ति पर अधिकार के दस्तावेज प्रस्तुत करें। ✔ इसी प्रकार की जानकारियों और समाचार के लिए कृपया यहां क्लिक करके हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें एवं यहां क्लिक करके हमारा टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करें। क्योंकि भोपाल समाचार के टेलीग्राम चैनल पर कुछ स्पेशल भी होता है। यहां क्लिक करके व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन कर सकते हैं।