यदि जॉर्ज पंचम आ जाते तो शिवपुरी भी सचमुच भारत का प्रमुख पर्यटक स्थल होता- History Notes

Bhopal Samachar
ग्वालियर। महाराजा माधौराव सिंधिया, जिन्हें माधवराव सिंधिया प्रथम भी कहते हैं, ने ग्वालियर के नजदीक घने जंगल के बीच में पहाड़ी शिवपुरी को अपनी ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया था। वह इस इलाके को ग्वालियर राज्य का प्रमुख पर्यटन स्थल बनाना चाहते थे। अंग्रेजी हुकूमत में भारत के सम्राट जॉर्ज पंचम को आमंत्रित किया गया था। उनके लिए पहाड़ी पर विदेशी टाइल्स और मार्बल लगाकर लग्जरी रिसोर्ट बनाया गया था। यदि वह शिवपुरी आ जाते तो शिवपुरी भी भारत का प्रमुख पर्यटन स्थल होता। दुनिया भर के अंग्रेज यह देखने के लिए आते कि, भारत में उनके अंतिम सम्राट ने अपनी सबसे यादगार रात का है वह जारी थी। 

शिवपुरी की सबसे ऊंची पहाड़ी पर भारत के अंग्रेजी सम्राट के लिए रिसोर्ट बनाया गया था

ब्रिटिश राजशाही के इतिहास में इस बात को गर्व पूर्वक दर्ज किया गया है। सन 1911 में जॉर्ज पंचम भारत आकर सम्राट की पदवी ग्रहण की। उनके स्वागत के लिए राजाओं के बीच इस तरह की प्रतिस्पर्धा शुरू हुई कि दुनिया भर के इतिहास में दर्ज हो गई। ब्रिटिश राजशाही के इतिहास में लिखा गया है कि ऐसा स्वागत इससे पहले और इसके बाद कभी किसी राजा का नहीं हुआ। इसी क्रम में ग्वालियर के महाराजा ने उन्हें आमंत्रित किया था। उनके रात्रि विश्राम के लिए शिवपुरी में सबसे ऊंची पहाड़ी पर एक रिसोर्ट बनाया गया था। इसमें विदेशी टाइल्स और मार्बल लगाए गए थे। दस्तावेजों में इसे जॉर्ज कैसल और शिवपुरी के लोग इसे बांकड़े की कोठी कहते हैं। 

सम्राट ने सिंधिया का निमंत्रण ठुकराया

महाराजा सिंधिया चाहते थे कि सम्राट, उनके लिए खास तौर पर बनाए गए कैसल में सिर्फ एक रात गुजारें। भारत के सम्राट जॉर्ज पंचम ने महाराजा सिंधिया का निमंत्रण स्वीकार नहीं किया और वह कोठी अपने अतिथि का इंतजार करती रह गई। यदि जॉर्ज पंचम आ जाते तो जॉर्ज कैसल और शिवपुरी का नाम दुनिया भर के पर्यटन के नक्शे पर दर्ज हो जाता है और तमाम विदेशी लोग इसे देखने के लिए आते। इसमें रात बिताना पसंद करते। 

माधव नेशनल पार्क में बाघों के शिकार के लिए मचान बनाई गई थी 

शिवपुरी में अंग्रेजों ने अत्याचार नहीं की ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिलता लेकिन पर्यटन और मनोरंजन के लिए अंग्रेज अधिकारी नियमित रूप से शिवपुरी आते थे। महाराजा सिंधिया नहीं माधव नेशनल पार्क में बाघों के शिकार के लिए विशेष प्रबंध किए थे। खास प्रकार की मचान बनाई गई थी जिस पर अंग्रेज अधिकारी बंदूक लेकर बैठ जाते थे। नीचे एक बकरी बांधी जाती थी। जब कोई टाइगर बकरी का शिकार करने के लिए आता तो अंग्रेज अधिकारी उसे अपने बंदूक का निशाना बनाते थे। आजादी के बाद भी यहां नियमित रूप से शिकार की कहानियां सुनने को मिल जाती हैं। मध्यप्रदेश में कांग्रेस के शासनकाल 2003 तक माधव नेशनल पार्क में पावरफुल पॉलीटिशियंस के मनोरंजन और भोजन के लिए वन्य प्राणियों के शिकार की खबरें आती रहती थी।

पढ़िए भारत के अंग्रेजी सम्राट जार्ज पंचम को खुश करने के लिए किस राजा ने क्या किया 

  • मुंबई का गेटवे ऑफ इंडिया जॉर्ज पंचम के स्वागत में बनाया गया था। 
  • भारत के प्रख्यात साहित्यकार बदरीनारायण चौधरी ने जॉर्ज पंचम के स्वागत में 'सौभाग्य समागम' लिखा था।
  • खड़ी बोली में पहला महाकाव्य लिखने वाले अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ ने “शुभ स्वागत” लिखा।
  • खड़ी बोली के आरंभिक कवियों में एक श्रीधर पाठक ने “श्री जार्ज वन्दना” तथा नाथूराम शर्मा ‘शंकर’ ने “महेन्द्र मंगलाष्टक” लिखकर जॉर्ज पंचम और महारानी मेरी का स्वागत किया। (देवताओं के राजा इंद्र का एक नाम महेंद्र भी है) 
  • जॉर्ज पंचम के चित्र वाले चांदी के सिक्के जारी किए गए।
  • कहा तो यह भी जाता है कि श्री रविंद्र नाथ टैगोर ने 'जन गण मन' की रचना जॉर्ज पंचम के स्वागत में की थी। टैगोर ने इसमें उन्हें भारत का भाग्य विधाता कहा था।
  • ब्रिटिश हुकूमत के इतिहास में इस बात का विस्तार से विवरण मिलता है कि भारत के सम्राट जार्ज पंचम के स्वागत में 10 दिन तक चले समारोह के दौरान भारत के राजाओं ने क्या-क्या किया था। 

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