आज से ठीक 3 साल पहले 20 मार्च 2020 को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में कांग्रेस पार्टी के सबसे बड़े नेता और तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के मैनेजमेंट की ऐतिहासिक असफलता को दर्ज किया गया था। उन्होंने विधानसभा में बहुमत साबित करने के बजाए राज्यपाल को इस्तीफा देने की घोषणा कर दी थी। यह इसलिए भी उल्लेखनीय है क्योंकि 40 साल के पॉलिटिकल एक्सपीरियंस के बाद कमलनाथ ने खुद दावा किया था कि उनसे बेहतर मैनेजमेंट मध्यप्रदेश में कोई नहीं कर सकता।
बात संक्षिप्त में लेकिन सन 2018 से शुरू करते हैं जब कांग्रेस पार्टी में नेशनल और इंटरनेशनल मामलों की पॉलिटिक्स करने वाले कमलनाथ अचानक मध्य प्रदेश की रीजनल पॉलिटिक्स में घुसने लगे। इस दौरान उनकी तरफ से कुछ दावे किए गए थे, जो इस प्रकार हैं:-
- मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी में गुटबाजी है, लेकिन कमलनाथ को सभी गुटों के नेता स्वीकार करते हैं।
- कमलनाथ को 40 साल की राजनीति का अनुभव है, वह कांग्रेस को पूर्ण बहुमत दिलाने में सफल होंगे।
- कमलनाथ मैनेजमेंट में माहिर हैं, उनके नेतृत्व में बनी सरकार 100% सफल होगी और दूसरा चुनाव जीतेगी।
इस दौरान, जय-जय कमलनाथ, जय-जय कमलनाथ के नारे गूंजे थे।
नतीजा क्या हुआ अपन सब जानते हैं:-
- कांग्रेस पार्टी में गुटबाजी खत्म नहीं हुई बल्कि कमलनाथ का अपना एक नया गुट बन गया और ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने पूरे गुट के साथ भाजपा में शामिल हो गए।
- 2018 के विधानसभा चुनाव में कमलनाथ की 40 साल का पोलिटिकल एक्सपीरियंस कोई खास काम नहीं आया। कांग्रेस पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाया। आपको याद ही होगा पथरिया से बसपा विधायक श्रीमती रामबाई उन दिनों पूरी विधानसभा हिला देती थी।
- कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी की सफल सरकार का रिकॉर्ड तो दूर की बात, मात्र 15 महीने में उनकी सरकार गिर गई। वह विधानसभा में बहुमत साबित करने की हिम्मत तक नहीं जुटा पाए।
जनता के बीच कुछ भी कहिए लेकिन मैनेजमेंट की किताब में इसे BIG failure नोट किया जाएगा
सोशल मीडिया पर कमलनाथ और उनमें श्रद्धा रखने वाले दूसरे नेता एवं आम नागरिक कई तरह की बातें करेंगे। कांग्रेस की सरकार गिर जाने के पीछे ज्योतिरादित्य सिंधिया को कारण बताते हुए उन्हें गद्दार करार दिया जाएगा। कमलनाथ को मासूम घोषित किया जाएगा लेकिन मैनेजमेंट के चश्मे से देखने दो ऐसे व्यक्ति को दूसरा मौका नहीं दिया जाना चाहिए।
40 साल के लंबे राजनीतिक अनुभव के बाद जिस व्यक्ति को यह तक ना पता हो कि उसके विधायक कहां है और क्या कर रहे हैं। जो व्यक्ति 17 दिन तक देश भर में तमाशा बना रहा हो। जो सामने आए संकट का 17 दिन में भी समाधान ना निकाल पाया हो। ऐसे व्यक्ति को मासूम कहिए या लाचार लेकिन नेता नहीं कहा जा सकता। जो व्यक्ति लीडरशिप क्वालिटी के नाम पर मुख्यमंत्री बना हो मात्र 15 महीने में उसकी लीडरशिप का इस कदर बिखर जाना और 40 साल के अनुभवी महान नेता की आंखों में आंसू आ जाना, मैनेजमेंट के सिद्धांतों के अनुसार इससे कमजोर व्यक्ति नहीं हो सकता।
नेता वह नहीं होता जो आंसू बहाए। नेता वह होता है जो आंसू आने का कारण ही खत्म कर दे। लोगों की आंखों से आंसू पौंछे और अंत तक लड़े। फ्लोर टेस्ट से पहले इस्तीफा देकर भाग न जाए। अंत तक संघर्ष करे, हार स्वीकार ना करें।
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