INDORE निगम आयुक्त को राज्य सूचना आयोग का नोटिस, 1 लाख मुआवजा देना होगा

NEWS ROOM
इंदौर।
 मध्यप्रदेश के इंदौर नगर निगम आयुक्त को मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग ने जानकारी देने में लापरवाही बरतने पर नोटिस जारी किया है। राज्य सूचना आयोग ने निगम आयुक्त के साथ-साथ स्मार्ट सिटी के अधीक्षण यंत्री को भी अत्यधिक विलंब के बाद बहु अपूर्ण जानकारी देने के लिए क्षतिपूर्ति एवं शास्ती (compensation and penalties) का नोटिस जारी  किया है। राज्य सूचना आयोग ने पूर्व पार्षद की शिकायत पर सुनवाई करते हुए सूचना आयोग ने नोटिस दिया है। तथा 20 अप्रैल 2023 तक जवाब प्रस्तुत करने को कहा है।

इंदौर निगम आयुक्त प्रतिभा पाल सहित स्मार्ट सिटी के अधीक्षण यंत्री को नोटिस जारी

आवेदक पूर्व पार्षद दिलीप कौशल ने सूचना के अधिकार (RTI) में दिनांक 1 अप्रैल 2017 को स्मार्ट सिटी कार्यालय में आवेदन देकर जानकारी मांगी थी। निर्धारित समय में विभाग कौशल को जानकारी देने में असमर्थ रहा। इसके बाद प्रथम अपीलीय अधिकारी तत्कालीन अपर आयुक्त संदीप सोनी ने भी प्रकरण कि सुनवाई नहीं की। आवेदक  के अनुसार उन्होंने मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग को द्वितीय अपील देकर जानकारी दिलाने और कारवाई की मांग की थी। इस पर राज्य सूचना आयोग ने प्रकरण की विधिवत सुनवाई कर दिनांक 16-09-2021 को अधीक्षण यंत्री डीआर लोधी को जानकारी देने का आदेश दिया था जिसके बाद भी कौशल को जानकारी नहीं देने पर कौशल ने पुनः राज्य सूचना आयोग को शिकायत की तो स्मार्ट सिटी कार्यालय द्वारा 217 दिनों के बाद अपूर्ण जानकारी दी गई।

आयोग ने प्रकरण को बेहद गंभीर मानते हुवे स्मार्ट सिटी कार्यालय के लोक सूचना अधिकारी डीआर लोधी को अधिनियम की धारा 20(1) तथा 20 (2) के अंतर्गत शास्ति आरोपित करने अथवा विभागीय जांच का सूचना पत्र जारी किया करने के साथ-साथ आगामी एक माह में शेष जानकारी निशुल्क पंजीकृत डाक से आवेदक श्री कौशल को भेजने के निर्देश जारी किए है। मामले में आवेदक ने निगम से क्षतिपूर्ति की मांग की है। कौशल की प्रथम अपील की सुनवाई नहीं करने और मूल आवेदन दिनांक 1-4-2017 स्मार्ट सिटी कार्यालय द्वारा स्वीकार करने के बाद विभाग द्वारा 1359 दिनों में भी अपूर्ण जानकारी देने के कारण कौशल के अत्यधिक धन, श्रम तथा समय व्यय होने के लिए कौशल ने राशि रुपए 1 लाख क्षतिपूर्ति दिलाने की मांग की थी। 

राज्य सूचना आयोग द्वारा सभी तथ्यों का परीक्षण कर नगर निगम आयुक्त प्रतिभा पाल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। आयोग ने लिखा है कि आवेदक को जानकारी देने में हुवे विलंब तथा अपूर्ण जानकारी देने पर क्यों ना क्षतिपूर्ति की राशि आवेदक को दी जाए? इससे पहले भी पूर्व पार्षदों द्वारा निगम पर आरोप लगाए गए है कि गड़बड़ियों को दबाने के लिए जानकारियां छुपाई जाती है। इसी कारण नगर निगम कार्यालय सूचना के अधिकार के पालन के प्रति बेहद गैर जिम्मेदार है। ज्यादातर आवेदनों का निराकरण स्थानीय स्तर पर नही होकर आवेदको को भोपाल में द्वितीय अपील करना पड़ती है जिसकी सुनवाई का क्रम भी 1से 2 वर्षो में आता है।

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