इंदौर। माध्यमिक शिक्षा मंडल मध्य प्रदेश, भोपाल द्वारा आयोजित कक्षा 10 हाई स्कूल बोर्ड की परीक्षा आज बुधवार से शुरू हो गई। इंदौर के अखबारों में काफी प्रचारित किया गया है कि यदि कोई बच्चा नकल करता हुआ पकड़ा गया तो उसके खिलाफ FIR दर्ज की जा सकती है हालांकि परीक्षा केंद्र बनाए जाने में नियमों का उल्लंघन किया गया और सामूहिक नकल की संभावनाओं को जन्म दिया गया।
सिस्टम में गड़बड़ी, समाचारों में सतर्कता का ऐलान
इंदौर जिले में कुल 149 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। इनमें से 85 प्राइवेट स्कूल हैं और 64 सरकारी स्कूल। माध्यमिक शिक्षा मंडल ने 24 परीक्षा संवेदनशील घोषित किया है। इनमें से कुछ ऐसे स्कूलों को परीक्षा केंद्र बना दिया गया है जिसमें उसी स्कूल के बच्चे परीक्षा देंगे। यानी जिन टीचर्स ने साल भर पढ़ाया है वही परीक्षा भी लेंगे। नियमानुसार, यह गलत है परंतु गलती बताए जाने के बावजूद इसे सुधारा नहीं गया। प्राइवेट स्कूलों में प्राइवेट स्कूलों के बच्चों का परीक्षा केंद्र बनाया गया। जबकि पॉलिसी के हिसाब से प्राइवेट स्कूलों में सरकारी स्कूल के बच्चे और सरकारी स्कूलों में प्राइवेट स्कूल के बच्चों का परीक्षा केंद्र बनाया जाता है ताकि नकल की संभावना को समाप्त किया जा सके।
प्राइवेट स्कूलों में प्रवेश पत्र नहीं दिए, स्कूल शिक्षा विभाग ने कोई मदद भी नहीं की
इंदौर में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी खुलेआम देखी गई। जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में भी पक्षपात नजर आया। ज्यादातर प्राइवेट स्कूलों ने उन विद्यार्थियों को प्रवेश पत्र देने से इनकार कर दिया था जिनकी फीस जमा नहीं हुई थी। जब इसके बारे में जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में शिकायत की गई तो कुछ स्कूलों के विद्यार्थियों को तत्काल मदद उपलब्ध कराई गई और कुछ स्कूल के विद्यार्थियों का मामला टाल दिया गया। जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में मौजूद कुछ लोगों (पता नहीं वह कर्मचारी भी थे या नहीं) ने पेरेंट्स को समझाया कि स्कूल फीस जमा करें नहीं तो परेशानी में पड़ जाएंगे।
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