Madhya Pradesh Indore jhulelal Mandir bavdi news
बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर हादसे में 36 लोगों की मौत हो गई। इस बावड़ी में से मात्र 18 लोग जिंदा वापस लौट पाए। शमशान का जर्रा जर्रा रो पड़ा था जब एक साथ 11 चिताओं को अग्नि दी गई। इस हादसे के बाद बड़ा सवाल यह था कि इतनी गहरी बावड़ी को इतने कमजोर कंस्ट्रक्शन से बंद किसने किया था। पता चला है कि लगातार आत्महत्याओं के चलते इंदौर नगर निगम ने ही इसे बंद किया था। इस बावड़ी में कई महिलाएं आत्महत्या कर चुकी थी।
INDORE NEWS- झूलेलाल मंदिर की बावड़ी कब और किसने बंद करवाई थी पढ़िए
हादसे में मंदिर ट्रस्ट के सहासचिव लक्ष्मीकांत पटेल ने अपनी पत्नी दक्षाबेन पटेल और बहू कनक पटेल को खो दिया। उन्होंने बताया कि, हम 1970 में यहां रहने आए थे। तब गिनती के दो या तीन मकान हुआ करते थे। मंदिर की जगह सिर्फ ओटला था। पास में बावड़ी थी, जिसमें 1980 से 85 के बीच कई लोगों ने सुसाइड कर लिया था। जब भी कोई पंचनामा बनाया जाता था तो हमसे गवाही ली जाती थी। इससे हम परेशान हो गए थे, तब IDA का नाम इंप्रूवमेंट ट्रस्ट हुआ करता था। हमने उस ट्रस्ट से शिकायत भी की थी। इसके बाद नगर निगम ने बावड़ी को बंद करवाया था और स्लैब डलवाई थी।
महापौर बोले- सच क्या है कह नहीं सकते
महापौर पुष्य मित्र भार्गव ने कहा- सुसाइड पॉइंट की बात मैंने कहीं सुनी है। कोई कहता है कि 40 साल पहले 2 बच्चे मर गए थे। कोई कहता है, पंडित जी की डेथ हुई थी। ऐसे में यह नहीं बता सकते कि सच्चाई क्या है। हो सकता है इसे बंद करने के लिए पहले जाली लगाई हो। सच में क्या हुआ होगा, नहीं कह सकते।
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