जबलपुर। प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी अरविंद सिंह टेकाम ने बैंक चेक से संबंधित विभाग में एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए कहा कि यदि बैंक के चेक में विवरण किसी अन्य व्यक्ति द्वारा भरा जाए और हस्ताक्षर खाताधारक द्वारा किए जाएं तो ऐसी स्थिति में बैंक का चेक अवैध घोषित नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही चेक बाउंस के दोषी बलराम पटेल को 6 महीने कारावास की सजा सुनाई गई। इसके साथ ही उसे बाउंस हुए चेक की रकम 1.70 लाखों रुपए और 2.21 लाख रुपए प्रतिकर राशि के रूप में भुगतान करने होंगे।
JABALPUR NEWS- व्यापार में उधार के कारण दोस्ती टूट गई
जुगल किशोर झारिया की ओर से अधिवक्ता जयेश तिवारी, पंकज तिवारी व गुलाब सिंह ठाकुर ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि जुगल किशोर और बलराम पटेल परस्पर मित्र थे। अपनी व्यापारिक आवश्यकता के लिए बलराम पटेल ने जुगल किशोर से 1 लाख 70 हजार रुपये लिए थे। यह राशि पांच माह के भीतर अदा करने का वचन दिया था। समय-सीमा निकलने के बाद बार-बार आग्रह पर चेक दे दिया। जब चेक जमा किया गया तो बाउंस हो गया। लिहाजा, लीगल नोटिस दिया गया। उसका कोई असर न होने पर परिवाद दायर किया गया।
हस्ताक्षर किया हुआ ब्लैंक चेक, लीगल टेंडर है: जबलपुर कोर्ट
कोर्ट में बलराम पटेल की ओर से दलील दी गई कि बैंक में प्रस्तुत किया गया चेक अवैध है क्योंकि चेक पर हस्ताक्षर तो उसके हैं परंतु नाम और रकम उसके द्वारा नहीं भरी गई थी। चेक पर डबल हेड राइटिंग है इसलिए यह चेक अवैध है। न्यायालय में बहस के दौरान पाया गया कि बलराम ने जुगल किशोर को ब्लैंक चेक हस्ताक्षर करके दे दिया था। कोर्ट ने कहा कि कोरे चेक पर हस्ताक्षर करना, वित्तीय जोखिम लेने जैसा है और इसके लिए हस्ताक्षरकर्ता ही जिम्मेदार है। क्योंकि उसने पूरे होशो हवास में कोरे चेक पर हस्ताक्षर किए हैं अतः वह चेक में दर्ज की गई रकम अदा करने के लिए जिम्मेदार है। चेक बाउंस होने की स्थिति में उसे दंडित किया जाएगा।
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