ग्वालियर। नगर निगम ग्वालियर और जीवाजी यूनिवर्सिटी दोनों मध्यप्रदेश शासन की संतान है, बावजूद इसके जीवाजी यूनिवर्सिटी से प्रॉपर्टी टैक्स वसूली के लिए नगर निगम ने वार्षिक परीक्षाओं के दिनों में यूनिवर्सिटी की वाटर सप्लाई लाइन काट दी। नतीजा हॉस्टल में पानी नहीं आ रहा है। स्टूडेंट्स पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं।
नगर निगम ग्वालियर की ओर से पत्रकारों को बताया गया कि, जीवाजी यूनिवर्सिटी पर 7 करोड रुपए प्रॉपर्टी टैक्स बकाया है। नगर निगम द्वारा मप्र नगर पालिक निगम अधिनियम की धारा 173 एवं 174 के तहत पूर्व में नोटिस दिए गए थे। इसके अतिरिक्त लोक अदालत द्वारा पिछले 2 साल में 7 बार नोटिस जारी किए गए लेकिन यूनिवर्सिटी की तरफ से प्रॉपर्टी टैक्स का भुगतान नहीं किया जा रहा है। डिप्टी कमिश्नर प्रॉपर्टी टैक्स एपीएस भदोरिया ने कहा कि पिछले साल कमिश्नर ग्वालियर ने भी प्रॉपर्टी टैक्स जमा करने के निर्देश दिए थे। प्रमुख सचिव शहरी विकास एवं प्रमुख सचिव वित्त ने पिछले साल आदेश दिया था कि सभी संस्थाओं को सेवा प्रभार शुल्क का भुगतान किया जाना अनिवार्य है। जब यूनिवर्सिटी ने किसी भी स्थिति में प्रॉपर्टी टैक्स जमा नहीं किया तो शनिवार दिनांक 18 मार्च 2023 को यूनिवर्सिटी की वाटर सप्लाई काट दी गई।
नगर निगम वसूली के लिए क्या-क्या कर सकता है
नगर निगम को विकास के लिए मध्यप्रदेश शासन से पैसा मिलता है और जीवाजी यूनिवर्सिटी को भी संचालन के लिए मध्यप्रदेश शासन से पैसा मिलता है। भारत का सामाजिक सिद्धांत है, जब एक पिता की दो संतानों के बीच विवाद की स्थिति बनती है तो निर्णय पिताजी करते हैं। इस तरह से किसी के पानी का पाइप नहीं तोड़ते। प्रमुख सचिव के आदेश पर वित्त मंत्रालय जीवाजी यूनिवर्सिटी की फंडिंग में से प्रॉपर्टी टैक्स का पैसा निकालकर नगर निगम ग्वालियर को दे सकता है। इतना तमाशा करने की जरूरत क्या है।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब सब कुछ साल भर से चल रहा था तो छुट्टी के दिनों में कार्रवाई क्यों नहीं की। यदि काटना ही था तो कुलपति, रजिस्ट्रार और सरकारी आवास में रहने वाले जीवाजी यूनिवर्सिटी के सभी अधिकारियों की वाटर सप्लाई काटना चाहिए था। छात्रावास का पानी बंद करना, परीक्षा के दिनों में विद्यार्थियों को टॉर्चर करना। गंभीर अपराध है।
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