कई बार कुछ लोग ढलान पर अपनी कार को पार्क करके चले जाते हैं और उनकी लापरवाही के कारण कार अचानक आगे या पीछे बढ़ने लगती है। ऐसी स्थिति में यदि किसी को टक्कर लग जाए और उसे गंभीर चोट पहुंचे तो किसके खिलाफ मामला दर्ज होगा क्योंकि पुलिस तो ड्राइवर के खिलाफ मामला दर्ज करती है और इस परिस्थिति में कार के भीतर ड्राइवर नहीं होता।
आईपीसी की धारा 338- गिरफ्तारी, जमानत, सजा और समझौता के नियम
वाहन मालक या वाहन चालक की लापरवाही के कारण यदि वाहन किसी व्यक्ति से टकरा जाता है और उसे गंभीर चोट लगती है तो भारतीय दंड संहिता की धारा 338 के तहत मामला दर्ज किया जाता है। इसमें अनिवार्य नहीं है कि व्यक्ति ड्राइविंग सीट पर बैठा हो परंतु यह अनिवार्य है कि उसकी लापरवाही प्रमाणित होती हो। आईपीसी की धारा 338 का अपराध संज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होता है अर्थात पुलिस थाना अधिकारी ऐसे अपराध की तुरंत FIR दर्ज करेगा, इसमें गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं होती एवं जमानत भी पुलिस थाने से ही ली जा सकती है। इस अपराध की सुनवाई किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है,इस अपराध के लिए अधिकतम एक वर्ष की कारावास का एक हजार रुपये जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 338 का अपराध एक शमनीय अपराध है जानिए
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 320 की उपधारा (2) के अनुसार उतावलेपन या उपेक्षापूर्वक किसी व्यक्ति की घोर उपहति करने का अपराध समझौता योग्य अपराध है इस अपराध का समझौता न्यायालय की आज्ञा पर या न्यायालय की मंजूरी के उस व्यक्ति से किया जा सकता है जिसको घोर उपहति की गई है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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