जब कोई व्यक्ति ऋण (होम लोन, बिजनेस लोन, पर्सनल लोन या किसी भी वैधानिक संस्था अथवा परिचित व्यक्ति से लिया गया लोन) अदा करने से बचने के लिए स्वयं की संपत्ति की जानकारी को छुपा लेता है तो वह भारतीय दण्ड संहिता की धारा 421 के अंतर्गत अपराधी होता है लेकिन अगर व्यक्ति किसी लेनदार से स्वयं की ही छिपा लेता है, फोन रिसीव नहीं करता, घर अथवा ज्ञात ठिकानों पर जाने पर सामने नहीं आता। तब ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कौन सा मामला दर्ज होगा। आइए जानते हैं:-
आईपीसी की धारा 422- सरल हिंदी में परिभाषा, जमानत एवं सजा
वह व्यक्ति जो समय पर लोन नहीं चुका था और लेनदारों से स्वयं को छुपा लेता है। उनके सामने नहीं आता। उनका फोन नहीं उठाता। उनके मैसेज का रिप्लाई नहीं करता। अपना ज्ञात पता ठिकाना और मोबाइल नंबर बदल देता है। ऐसे व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 422 के तहत मामला दर्ज किया जाता है। यह अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय अपराध है इनकी सुनवाई का अधिकार किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट की है। सजा इस अपराध के लिए अधिकतम दो वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 422 का अपराध एक शमनीय अपराध है जानिए
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा(1) के अनुसार लेनदार से स्वयं को छुपाने का अपराध एक समझौता योग्य अपराध हैं इसका समझौता बिना न्यायालय की आज्ञा अर्थात न्यायालय के बाहर ही उस व्यक्ति से किया जा सकता है जिससे व्यक्ति ने कर्ज लिया है किया गया हैं। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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