18 वर्ष से कम आयु के लावारिस बच्चे (जिनके माता-पिता दोनों की मृत्यु हो गई हो), शारीरिक अथवा मानसिक रूप से दुर्बल बच्चे, के पालन पोषण की जिम्मेदारी नियम अनुसार उसके इच्छुक रिश्तेदार अथवा परिचित को सौंपी जाती है। यदि कोई पालक अपनी जिम्मेदारी ना निभाए। बच्चों के साथ दुर्व्यवहार करे तो उसके खिलाफ किस धारा के तहत मामला दर्ज होगा पढ़िए:-
आईपीसी की धारा 491- गिरफ्तारी, जमानत, सजा एवं समझौता के प्रावधान
यदि किसी लावारिस, नाबालिग, मानसिक या शारीरिक रूप से दुर्बल बच्चे का पालक अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाता या संविदा भंग करता हैं तो वह व्यक्ति भारतीय दण्ड संहिता की धारा 491 के अंतर्गत दोषी होगा। "सेवा संविदा भंग का अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय अपराध है। इसमें गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं होती। पुलिस थाने से जमानत की कार्यवाही हो जाती है। इनकी सुनवाई का अधिकार किसी भी न्याय मजिस्ट्रेट को है। इस अपराध के लिए अधिकतम तीन माह की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 491 का अपराध एक शमनीय अपराध है जानिए
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा(1) के अनुसार सेवा संविदा भंग करने का अपराध एक समझौता योग्य अपराध हैं इसका समझौता बिना न्यायालय की आज्ञा अर्थात न्यायालय के बाहर ही उस व्यक्ति से किया जा सकता है जिस व्यक्ति की सेवा के लिए संविदा की गई थी। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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