अब तक हम आपको बता चुके हैं कि, बोलकर मानहानि करना। इशारे से मानहानि करना। चित्र बनाकर मानहानि करना। अप्रत्यक्ष तरीके से मानहानि करना। सोशल मीडिया पर बदनाम करना और समाचार पत्र-पत्रिकाएं अथवा किसी पुस्तक में लिखित रूप से मानहानि करना किस प्रकार का अपराध होता है। आज हम आपको बताएंगे कि ऐसे समाचार पत्प-त्रिकाएं एवं पुस्तक बेचना भी अपराध है जिनमें किसी की मानहानि की गई हो।
आईपीसी की धारा 502- गिरफ्तारी, जमानत, सजा एवं समझौता के प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा 502 के तहत ऐसे व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया जाता है जो ऐसे समाचार पत्र-पत्रिकाएं, पुस्तक अथवा साहित्य का विक्रय अथवा वितरण करता है जिसमें किसी व्यक्ति की मानहानि की गई हो। उसे बदनाम करने के लिए साजिश की गई हो। यह अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय अपराध है। यानी गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं है और पुलिस थाने में जमानत की कार्यवाही पूरी हो जाती है। इसकी सुनवाई प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है। इस अपराध के लिए अधिकतम दो वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 501(,ख) का अपराध एक शमनीय अपराध है जानिए
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 320 की उपधारा (1) के अनुसार किसी भी व्यक्ति को लिखित मानहानि पहुचाना एक समझौता योग्य अपराध हैं इसका समझौता बिना न्यायालय की आज्ञा अर्थात न्यायालय के बाहर ही किया जा सकता है इस अपराध का समझौता उस व्यक्ति से किया जाता है जिस व्यक्ति के मान सम्मान को ठेस पहुचाई गई है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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