Legal Advice- अपमान और मानहानि में क्या अंतर है, क्या अपमान करना भी अपराध है, सरल हिंदी में पढ़िए

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अपमान और मानहानि के दो ऐसे अपराध होते हैं जिसको कानूनी भाषा में समझना आम व्यक्ति के लिए बहुत ही कठिन होता है। आज हम आपको बहुत ही सरल शब्दों में इन दिनों अपराधों के बारे में बताएंगे।

आईपीसी की धारा 499 का अर्थ

1. भारतीय दण्ड संहिता की धारा 499 के अनुसार मानहानि का अपराध तब होता है जब किसी व्यक्ति पर कोई लांछन लगाया जाता है। यानी उसके बारे में असत्य प्रचारित किया जाता है। यह अक्सर अप्रत्यक्ष रूप से किए जाने वाला अपराध है। यह अपराध लिखित, मौखिक एवं इशारे से किया जा सकता है।

आईपीसी की धारा 504 का अर्थ

2. भारतीय दण्ड संहिता की धारा 504 के अनुसार अपमान का अपराध प्रत्यक्ष रूप से, सामने किया जाता है। इसमें मिथ्या या असत्य का होना अनिवार्य नहीं है लेकिन लोक व्यवहार की मर्यादा भंग हो जाती है। यदि प्रतिक्रिया स्वरूप पीड़ित व्यक्ति कोई नियम तोड़ दें अथवा लोक शांति भंग कर दे तब अपमान को अपराध माना जाता है।

आईपीसी की धारा 504 गिरफ्तारी, जमानत, सजा एवं समझौता के प्रावधान 

IPC- भारतीय दंड संहिता 1807 की धारा 504 का अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय है। इसमें गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं है। जमानत की प्रक्रिया पुलिस थाने में संपन्न हो जाती है। इनकी सुनवाई किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है। इस अपराध के लिए अधिकतम दो वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है। 

भारतीय दण्ड संहिता की धारा 504 का अपराध एक शमनीय अपराध है जानिए

दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 320 की उपधारा (1) के अनुसार किसी भी व्यक्ति को अपमानित करने का अपराध एक समझौता योग्य अपराध हैं इसका समझौता बिना न्यायालय की आज्ञा अर्थात न्यायालय के बाहर ही किया जा सकता है उस व्यक्ति से जिसे अपमानित किया गया था। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665

इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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