जब कोई चोर किसी की संपत्ति चुराता है तो आईपीसी की धारा 379 के तहत मामला दर्ज किया जाता है लेकिन यदि कोई नौकर या कर्मचारी अपने नियोक्ता की संपत्ति, दस्तावेज या किसी अन्य प्रकार की चोरी कर ले तब ऐसे कर्मचारी अथवा नौकर को दंडित करने के लिए भारतीय दंड संहिता में अलग से प्रावधान किया गया है।
आईपीसी की धारा 381- गिरफ्तारी, जमानत, सजा एवं समझौता के नियम
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 381 के अंतर्गत ऐसे लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाता है जिन्होंने अपने नियोक्ता के ऑफिस अथवा घर में चोरी की होती है। चोरी संपत्ति की हो या किसी भी प्रकार के दस्तावेज की, गंभीर अपराध माना जाता है। यह धारा शासकीय सेवकों यानी सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ भी दर्ज की जाती है।
आईपीसी की धारा 381 का अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध होता है अर्थात पुलिस थाना अधिकारी ऐसे अपराध की तुरंत एफआईआर दर्ज करेगा एवं जमानत के लिए न्यायालय में आवेदन करना होता है। इस अपराध की सुनवाई किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है, इस अपराध के लिए अधिकतम सात वर्ष की कारावास और जुर्माना, दोनो से दण्डित किया जा सकता है।
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 381 का अपराध एक शमनीय अपराध है जानिए
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 320 की उपधारा (2) के अनुसार लिपिक या सेवक द्वारा चोरी करने का अपराध समझौता योग्य अपराध है इस अपराध का समझौता न्यायालय की आज्ञा पर या न्यायालय की मंजूरी से संपत्ति के मालिक या दायित्वकर्ता से किया जा सकता है।
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