मित्र और परिचित एक दूसरे की मदद करते ही हैं, और यदि वह किसी मुसीबत में हो तो जरूर करते हैं। किसी व्यक्ति ने यदि लोन ले रखा है और वह उसे समय पर अदा नहीं करता है तो वसूली की प्रक्रिया शुरू होती है। ऐसी स्थिति में डिफाल्टर अपनी संपत्ति को कुर्की से बचाने के लिए अपने मित्र और रिश्तेदारों के नाम ट्रांसफर कर देता है या और भी कई तरीके होते हैं। बैंक या वैधानिक लेनदार से संपत्ति की जानकारी छुपाना आईपीसी की धारा 421 के तहत अपराध है लेकिन क्या ऐसे व्यक्ति की मदद करना भी कोई अपराध है। आइए समझते हैं:-
आईपीसी की धारा 424- गिरफ्तारी, जमानत, सजा और समझौता
भारतीय दंड संहिता की धारा 424 के तहत उस व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया जाता है जो किसी डिफाल्टर को उसकी संपत्ति को छुपाने में मदद करता है। इस धारा के तहत दर्ज होने वाला अपराध असंज्ञेय (सामान्य अपराध, गंभीर अपराध नहीं) एवं जमानतीय (गिरफ्तारी नहीं होती, पुलिस थाने में जमानत की प्रक्रिया पूरी हो जाती है) अपराध है। इनकी सुनवाईकिसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट की जा सकती है। सजा- इस अपराध के लिए अधिकतम दो वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 424 का अपराध एक शमनीय अपराध है जानिए
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा(1) के अनुसार संपत्ति की जानकारी छुपाने में डिफाल्टर की मदद करना एक समझौता योग्य अपराध हैं। इसका समझौता बिना न्यायालय की आज्ञा अर्थात न्यायालय के बाहर उस व्यक्ति या संस्था से किया जा सकता है, जिसके प्रति अपराध किया गया है। यदि वह व्यक्ति या संस्था क्षमा कर देगी तो कोर्ट भी केस बंद कर देती है। अपराध प्रमाणित होने पर भी सजा नहीं होती। ✔ इसी प्रकार की जानकारियों और समाचार के लिए कृपया यहां क्लिक करके हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें एवं यहां क्लिक करके हमारा टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करें। क्योंकि भोपाल समाचार के टेलीग्राम चैनल पर कुछ स्पेशल भी होता है।