Mischief- रिष्टि का अपराध क्या है जानिए
कुछ शरारती लोग किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए कार्य का कांच फोड़ देते हैं। बाइक की सीट फाड़ देते हैं। या फिर इसी तरह संपत्ति को छोटा-मोटा नुकसान पहुंचाते हैं। ज्यादातर लोग इसकी शिकायत नहीं करते क्योंकि उन्हें मालूम ही नहीं है कि, इस तरह के मामले में पुलिस थाने में दर्ज किए जा सकते हैं। आइए हम बताते हैं कि यदि कोई चल अचल संपत्ति को छोटा-मोटा नुकसान पहुंचाता है तो उसके खिलाफ आईपीसी की किस धारा के तहत पुलिस थाने में मामला दर्ज होगा और उसे कितनी सजा का प्रावधान होगा।
आईपीसी की धारा 426- गिरफ्तारी, जमानत, सजा और समझौता
यदि कोई किसी को शारीरिक क्षति पहुंचाता है तो कानून की भाषा में उसे उपहति का अपराध कहा जाता है, लेकिन जब कोई व्यक्ति चल अथवा अचल संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है तब उसे रिष्टि का अपराध कहा जाता है। सामान्य रिष्टि (नुकसान) का अपराधिक भारतीय दण्ड संहिता की धारा 426 के अंतर्गत दण्डित किया जाएगा। यह अपराध असंज्ञेय (गंभीर) एवं जमानतीय (गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं, पुलिस थाने से जमानत मिल सकती है) अपराध है। इनकी सुनवाई का अधिकार किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट की है। सजा- इस अपराध के लिए अधिकतम तीन माह की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 426 का अपराध एक शमनीय अपराध है जानिए
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा(1) के अनुसार सामान्य रिष्टि का अपराध एक समझौता योग्य अपराध हैं इसका समझौता बिना न्यायालय की आज्ञा अर्थात न्यायालय के बाहर ही उस व्यक्ति से किया जा सकता है जिस व्यक्ति की संपत्ति की रिष्टि की गई है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com