पानी की पाइप लाइन से यहां तात्पर्य जलधारा से है जिसके अंतर्गत नदी और नहर भी आती है। यदि इस पानी का उपयोग कृषि कार्य के लिए, जानवरों के लिए अथवा मनुष्यों के लिए किया जाता है और कोई व्यक्ति अपने लाभ के लिए धारा को मोड़ देता है अथवा किसी भी प्रकार से बाधित कर देता है तब उसके खिलाफ पुलिस थाने में मामला दर्ज हो सकता है या नहीं और यदि हां तो आईपीसी की कौन सी धारा के तहत मामला दर्ज होगा। यहां पढ़ते हैं:-
आईपीसी की धारा 430- गिरफ्तारी, जमानत, सजा एवं समझौता
पानी की पाइप लाइन से लेकर नदी तक किसी भी प्रकार की जलधारा को बाधित करने वाले व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 430 के तहत मामला दर्ज किया जाता है। यह अपराध संज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होता है, अर्थात आरोपी की गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं होती और पुलिस थाने में ही जमानत की प्रक्रिया पूरी की जा सकती है। इसकी सुनवाई का अधिकार प्रथम वर्ग न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा की जाती है। इस अपराध के लिए अधिकतम पांच वर्ष की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जा सकता है।
आईपीसी की धारा 430- राजीनामा हो जाए तो क्या कोर्ट में केस बंद हो जाएगा
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा (1) के अनुसार किसी भी व्यक्ति के उपयोग के लिए जल नहीं पहुचने देने का अपराध एक समझौता योग्य अपराध हैं। इस अपराध का राजीनामा बिना न्यायालय की आज्ञा अर्थात न्यायालय के बाहर ही उस व्यक्ति से किया जा सकता है जिस व्यक्ति को जल न मिलने से किसी भी प्रकार की हानि हुई हो। दोनों पक्षों के बीच राजीनामा हो जाने पर कोर्ट में केस बंद कर दिया जाता है।
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