ग्वालियर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में मध्य प्रदेश शासन के मुख्य सचिव को निर्देशित किया है कि वह, अशोकनगर की बहुमूल्य विवादित जमीन के मामले में जांच करके उस अधिकारी का नाम बताएं जिसने अपील की फाइल को 4 साल तक दबा के रखा। उच्च न्यायालय ने जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए 10 अप्रैल 2023 की तारीख निर्धारित की है।
अशोकनगर रजनी एवं सुषमा देवी जमीन विवाद
मध्य प्रदेश शासन ने राजस्व मंडल के आदेश के खिलाफ अपील दायर की है। शासन का तर्क है कि प्रतिवादी रजनी व सुषमा देवी निवासी ने तत्कालीन तहसीलदार सुखवीर सिंह से मिलकर बेशकीमती जमीन अपने नाम करा ली। जब यह मामला अशोकनगर कलेक्टर के संज्ञान में आया तो तहसीलदार का आदेश निरस्त कर दिया। तहसीलदार के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा भी की। संभागीय अतिरिक्त आयुक्त ने 20 जुलाई 2015 को कलेक्टर के आदेश की पुष्टी कर दी थी, प्रतिवादियों ने इस आदेश के खिलाफ राजस्व मंडल में अपील की।
जांच का विषय- 2019 के फैसले को 2023 में चुनौती क्यों दी
राजस्व मंडल ने कलेक्टर व संभागीय अतिरिक्त आयुक्त के आदेश में बदलाव कर दिया। 18 मार्च 2019 को राजस्व मंडल ने प्रतिवादियों के पक्ष में फैसला दिया था। 25 जनवरी 2023 को शासन ने राजस्व मंडल के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की, लेकिन अपील दायर करने में शासन ने चार साल की देर की, उसका स्पष्ट कारण नहीं बताया। हाईकोर्ट ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए उस अधिकारी का पता करने का आदेश दिया है, जिसने अपील दायर करने में देर की।
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