भोपाल। मध्यप्रदेश में, गलती करना और फिर उसे ना सुधारना, परंपरा सी बन गई है और स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय में तो गलती को स्वीकार ना करना शायद प्रतिष्ठा का विषय होता है। सन 2018 में 80000 शिक्षकों के समय मान वेतनमान के लिए प्रस्ताव बनना था, स्कूल शिक्षा के विद्वान अधिकारियों ने क्रमोन्नति का प्रस्ताव बनाकर भेज दिया। GAD ने 4 साल बाद गलती पकड़ी लेकिन अब स्कूल शिक्षा विभाग अपनी गलती मानने को तैयार नहीं है।
सन 2006 में नियुक्त हुए अध्यापक (शिक्षक) सन 2018 में नियमानुसार 12 वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद समयमान वेतनमान के अधिकारी हो गए। लोक शिक्षण संचालनालय को इसका प्रस्ताव बनाकर भेजना था परंतु DPI के विद्वान अधिकारियों ने समयमान के स्थान पर क्रमोन्नति का प्रस्ताव बनाकर सामान्य प्रशासन विभाग को भेज दिया। 2018 में भेजा गया प्रस्ताव सामान्य प्रशासन विभाग के कर्मठ अधिकारियों ने सन 2022 में देखा। तब उन्होंने बताया कि इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि यह तो क्रमोन्नति का प्रस्ताव है और 2006 में नियुक्त हुए अध्यापकों के लिए समयमान का प्रस्ताव भेजा जाना चाहिए था।
GAD ने गलती बता कर फाइल वापस लोक शिक्षण संचालनालय को लौटा दी परंतु लोक शिक्षण संचालनालय पिछले 11 महीने से अपनी गलती सुधारने को तैयार नहीं है क्योंकि गलती सुधारने के लिए गलती मानना पड़ता है और लोक शिक्षण संचालनालय में गलती मानने की परंपरा नहीं है। इस बात के लिए तो कई बार हाईकोर्ट भी डांट लगा चुका है। विधानसभा में विधायक मेवाराम जाटव ने जब शिक्षकों को क्रमोन्नति देने के प्रस्ताव की जानकारी मांगी, तो स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री इंदरसिंह परमार ने लिखित जवाब में कहा कि प्रस्ताव विचाराधीन है।
अब देखते हैं, लोक शिक्षण संचालनालय विधानसभा चुनाव 2023 के पहले क्या फैसला लेता है। गलती मानता है या 80000 शिक्षकों को सरकार के खिलाफ लामबंद कर देगा।
✔ इसी प्रकार की जानकारियों और समाचार के लिए कृपया यहां क्लिक करके हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें एवं यहां क्लिक करके हमारा टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करें। क्योंकि भोपाल समाचार के टेलीग्राम चैनल पर कुछ स्पेशल भी होता है। यहां क्लिक करके व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन कर सकते हैं।