Madhya Pradesh government jobs, reservation system latest news
जबलपुर। सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीदवारों को राहत देते हुए मुख्य परीक्षा में शामिल करने के आदेश दिए हैं जिन्हें प्रारंभिक परीक्षा में मेरिट के बावजूद मुख्य परीक्षा से बाहर कर दिया गया था क्योंकि उनकी आरक्षित श्रेणी में कट ऑफ, अनारक्षित श्रेणी से ज्यादा था।
MP NEWS- आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट की शरण में
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा 1255 पदों पर की जा रही भर्ती प्रक्रिया को चुनौती देने वाली एक और SLP (c) 4843/2023 रंगोली अहिरवार एवं अन्य सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई। इसकी सुनवाई दिनांक 20 मार्च को जस्टिस अजय रस्तोगी तथा जस्टिस वेला एम त्रिवेदी की खंडपीठ द्वारा की गई। उक्त याचिका में आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस अभ्यर्थियों सहित महिलाओं एवं विकलांगों द्वारा हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस वीरेंद्र सिंह के आदेश की वैधता को चुनौती दी गई है।
सरकारी नौकरी में आरक्षण- विवादित प्रकरण का विवरण
मध्य प्रदेश के जिला न्यायालयों में ट्रेनों तथा सहायक ग्रेड 3 के 1255 पदों पर होने वाली भर्ती प्रक्रिया की संवैधानिकता को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी जिसकी सुनवाई डिवीजन बेंच में की गई। याचिका क्रमांक 8750/2022 में दिनांक 2 जनवरी 2023 को हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने जस्टिस सूजय पॉल तथा जस्टिस डीडी बंसल द्वारा एमपीपीएससी परीक्षा 2019 के संबंध में दायर याचिका क्रमांक 807/ 2021 में दिनांक 7 अप्रैल 2022 को आदेश पारित करके इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ के प्रकरण के अनुसार तथा आरक्षण अधिनियम की धारा 4(4) की व्याख्या करके खंडपीठ ने व्यवस्था दी थी कि परीक्षा के प्रत्येक चरण में (प्रारंभिक तथा मुख्य) अनारक्षित सीटों को सिर्फ प्रतिभावान छात्रों से ही भरा जाएगा। चाहे वह किसी भी वर्ग के हों। जबकि हाईकोर्ट ने उक्त फैसले के विपरीत प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट जारी किया जिसमें अनारक्षित सीटों के लिए अनारक्षित जाति वर्ग के उम्मीदवारों का चयन किया गया। मेरिट में आने के बावजूद ओबीसी कैंडिडेट को अनारक्षित सीट नहीं दी गई।
अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने इस प्रक्रिया को हाईकोर्ट में चुनौती दी जिसे जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस वीरेंद्र सिंह की डबल बेंच ने खारिज कर दिया। डबल बेंच ने कहा कि पूरी भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण का प्रावधान फाइनल रिजल्ट के समय लागू किया जाएगा। परीक्षा के प्रत्येक चरण में आरक्षण लागू नहीं किया जाएगा। इसी आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट में वकील की दलील
अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर का तर्क है कि, हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने जुडिशल डिसिप्लिन को नजरअंदाज करते हुए, त्रुटि की है। यदि एक डिवीजन बेंच दूसरी डिवीजन बेंच के फैसले से सहमत नहीं है तो ऐसा मामला चीफ जस्टिस को रेफर करके लर्जर बेंच गठित की जानी चाहिए थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले से प्रभावित हुई सभी उम्मीदवारों को मुख्य परीक्षा में शामिल करने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से उसका पक्ष मांगा है।
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