RDVV NEWS- बिना प्रोफ़ेसर के एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट में 85% स्टूडेंट्स फेल, हंगामा

जबलपुर में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय कि मैनेजमेंट ने शाबाशी प्राप्त करने के लिए तैयारी पूरी किए बिना ही आनन-फानन में कृषि विज्ञान संस्थान खोल दिया। यह एक ऐसा शिक्षण संस्थान था जहां पढ़ाने के लिए शिक्षक प्रोफेसर ही नहीं है। नतीजा बीएससी आनर्स एग्रीकल्चर के फर्स्ट सेमेस्टर में 85 में से 70 छात्र फेल हो गए। छात्रों का कहना है कि यूनिवर्सिटी ने प्रति छात्र से एडमिशन के लिए 60 हजार रुपए लिए, लेकिन व्यवस्थाओं के नाम पर कुछ नहीं दिया। कृषि विज्ञान संस्थान के पास न ढंग की बिल्डिंग है और न ही लाइब्रेरी। ऐसे में जैसे-तैसे छात्रों ने कम संसाधनों में साल भर पढ़ाई की, पर जब रिजल्ट आया, तो वह निराशाजनक रहा।

RDVV का एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट- ना बिल्डिंग, ना प्रोफेसर, ना लाइब्रेरी

बीएससी ऑनर्स एग्रीकल्चर के छात्र रितिक ने बताया कि कृषि विज्ञान संस्थान 2021 में खुला था। तब से अभी तक दो सेमेस्टर के मिलाकर छात्रों की संख्या 200 से अधिक हो गई। एक भी प्रोफ़ेसर नहीं है। 3 अतिथि विद्वान थे। छात्र का कहना है कि कई बार कुलपति और कुलसचिव को बोला लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। परीक्षा का आयोजन तक मुश्किल हो गया था। जैसे तैसे परीक्षा हुई तो 85% छात्रों को फेल कर दिया। 

एडमिशन फीस के लिए 60 हजार रुपए

2021 में शुरू हुए कृषि विज्ञान संस्थान में प्रथम और द्वितीय सेमेस्टर में करीब 217 स्टूडेंट्स ने प्रवेश लिया है। यूनिवर्सिटी ने प्रति छात्र से 60 हजार रुपए प्रवेश परीक्षा ली। इसके बाद परीक्षा फीस के नाम पर भी हर छात्र ने 2500 रुपए यूनिवर्सिटी को दिए। रिजल्ट खराब आया, तो छात्रों ने हंगामा करते हुए यूनिवर्सिटी पर भविष्य से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया।

200 से अधिक छात्रों पर मात्र केवल 4 अतिथि विद्वान नियुक्त किए हैं। विभाग में स्थाई प्रोफेसर नहीं है, जबकि यहां करीब 10 से अधिक शिक्षकों की आवश्यकता है। कोर्स प्रारंभ हुए डेढ़ साल से अधिक का समय हो चुका है, पर न ही आधुनिक प्रयोगशाला बनाई गई और न लाइब्रेरी बनाई गई। पिछले डेढ़ साल से प्रैक्टिकल नहीं कराया गया। केवल थ्योरी ही पढ़ाई जा रही है।

मान्यता को लेकर उठ रहे सवाल

विश्वविद्यालय में संचालित बीएससी ऑनर्स एग्रीकल्चर के कोर्स की मान्यता को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। बताया जा रहा है कि कृषि विज्ञान कोर्स आईसीएआर व यूजीसी के अनुमति के बिना संचालित किया जा रहा है। इसे लेकर विद्यार्थी भी असमंजस में हैं। छात्रों ने बताया कि मेधावी विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति की राशि दिसंबर 2022 में विश्वविद्यालय के खाते में आ गई थी, लेकिन अभी तक कृषि के विद्यार्थियों को राशि नहीं दी गई है। ऐसे में अब पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति में फॉर्म डालने पर विद्यार्थियों को परेशानी हो रही है। बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन इसे अनदेखी कर रहा है।

कुलसचिव दीपेश मिश्रा ने भी माना कि छात्रों के लिए व्यवस्थाएं अधूरी हैं। कुलसचिव का कहना है कि शिक्षकों की व्यवस्था करवाई जा रही है। इसके अलावा, जिन छात्रों का रिजल्ट खराब आया है, उसकी जांच के लिए परीक्षा कंट्रोलर को निर्देश दिए गए हैं। 

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