दुनिया ऑनलाइन हो गई है और समय की गणना करने वाली घड़ियां भी डिजिटल हो गई है। कुछ घड़ियां तो ऐसी है जो समय के साथ-साथ हार्टबीट और ब्लड प्रेशर की गणना भी कर लेती हैं परंतु मध्य प्रदेश का एक गांव ऐसा है जहां समय की गणना आज भी प्राचीन वैदिक पद्धति से की जाती है। सबसे अच्छी बात यह है कि विद्यार्थी और पर्यटक स्वयं जाकर देख सकते हैं कि प्राचीन काल में वैदिक पद्धति से समय की गणना कैसे की जाती थी।
भारत देश का दूसरा सबसे बड़ा टेलीस्कोप कहां स्थित है
मध्य प्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर के नजदीक स्थित है पवित्र धार्मिक शहर उज्जैन और उज्जैन जिले में महिदपुर शहर के रास्ते में घटिया गांव के पास डोंगला गांव स्थित है। यहां पहुंचने का एकमात्र रास्ता सड़क मार्ग ही है। इंदौर तक फ्लाइट से और उज्जैन तक आप ट्रेन से आ सकते हैं। मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद ने इस गांव की परंपरा को कायम रखने के लिए ‘वराहमिहिर खगोलीय वेधशाला’ बनाई है। यह एक स्टडी सेंटर है जिसमें अंतरिक्ष विज्ञान और ज्योतिष से संबंधित सभी सवालों के जवाब मिल जाते हैं। यहां देश का दूसरा सबसे बड़ा टेलीस्कोप लगा है। यहां लगे 0.5 मीटर के टेलीस्कोप को कम्प्यूटर के जरिए किसी भी दिशा में घुमाकर ग्रह-नक्षत्रों गति समझी जा सकती है साथ ही उनकी तस्वीर भी ली जा सकती हैं।
सूर्य की गति मापने के लिए किस वैदिक यंत्र का उपयोग किया जाता है
यहां लगे भास्कर यंत्र से सूर्य की गति भी समझी जा सकती है। वक्त देखने के लिए हम जिस घड़ी का उपयोग करते हैं वह कार्य यह भास्कर यंत्र करता है। इस यंत्र को देखना, समझना रोमांच से भर देता है।
उज्जैन वाली कर्क रेखा अब इस गांव से होकर गुजर रही है
‘वराहमिहिर खगोलीय वेधशाला’ के प्रभारी डा. भुपेश सक्सेना का कहना है कि, कर्क रेखा उज्जैन से होकर गुजरी है। खगोलिय घटनाओं और भौगोलिक परिस्थितियों में आए बदलाव के चलते अब यह कर्क रेखा डोंगला में विस्थापित हो गई है। जिसकी खोज श्रीधर वाकणकर ने की थी।
छत गोल-गोल घूमती है, अंडाकार ऑडिटोरियम बना है
2013 से यहां खगोल अनुसंधान आदि का कार्य हो रहा है। यहां की छत घूमने वाली (रोटेटिंग रूफ) है जो महज बटन दबाते ही खुल जाती है। वेधशाला का आडिटोरियम अंडाकार बनाया गया है। इस वेधशाला में 5 मीटर डोम में 20’’ का टेलिस्कोप स्थापित है। वेधशाला का मुख्य उद्देश्य प्रदेश व देश के खगोल विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान व विकास कार्य को बढ़ावा देना है।
भारतीय पारंपरिक कैलेंडर- पंचांग, अब यहीं से तैयार होता है
खगोल विज्ञान और ज्योतिष विज्ञान की दृष्टी से यह स्थान बहुत मायने रखता है। भौगोलिक दृष्टी से कर्क रेखा ग्राम डोंगला से होकर गुजरती है। इस स्थान को कर्क रेखा और योगोत्तर रेखा का मिलन बिंदु भी माना जाता है। चूंकि यह स्थान कर्क रेखा पर स्थित है इसलिए ग्रह-नक्षत्र आदि की गणना भी यहां से होती है। आज भी यहां से पंचांग तैयार होता है। यहां बने भास्कर यंत्र की मदद से कई लोग शोधकार्य कर रहे हैं।
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