Mohini Ekadashi vrat katha muhurt time
जीवन में कुछ ऐसी परेशानियां होती हैं जिनका काफी प्रयास करने के बाद भी कोई समाधान नहीं मिलता। वैष्णव संप्रदाय के शास्त्रों में इस समस्या का समाधान लिखा हुआ है। उल्लेख किया गया है कि, वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि जिसे मोहिनी एकादशी कहते हैं, का विधि विधान से व्रत एवं पूजा करने से जीवन में स्थाई हो चुकी समस्याओं का समाधान हो जाता है। मनुष्य अपनी सबसे बड़ी परेशानी से मुक्त हो जाता है।
मोहिनी एकादशी 2023 का मुहूर्त टाइम
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 30 अप्रैल 2023 रात्रि 08 बजकर 28 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 01 मई 2023 को रात्रि 10 बजकर 09 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, यह व्रत 1 मई 2023, सोमवार के दिन रखा जाएगा। पंचांग में व्रत पारण का समय 02 मई को सुबह 05 बजकर 40 मिनट से सुबह 08 बजकर 19 मिनट के बीच निर्धारित किया गया है।
मोहिनी एकादशी 2023 व्रत की विधि
सरल शब्दों में समझाएं तो व्रत का प्रारंभ दिनांक 1 मई 2023 दिन सोमवार खूबसूरती से शुरू होगा एवं दिनांक 2 मई 2023 को सूर्योदय के समय व्रत का पारण होगा। यह व्रत 24 घंटे चलेगा जिसमें सूर्यास्त के बाद फलाहार कर सकते हैं। व्रत के दौरान जल एवं फलों के रस का सेवन कर सकते हैं। 1 मई की सुबह सूर्योदय के समय स्नान करके भगवान श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें। अपने पाप कर्मों एवं अनजाने में हुई गलतियों के के लिए बार-बार क्षमा याचना करें एवं अपने जीवन के सबसे प्रमुख कष्ट का स्मरण करते हुए प्रार्थना के समय उसके निवारण की प्रार्थना करें।
वह कौण्डिन्य मुनि से हाथ जोड़कर कहने लगा कि: हे मुने! मैंने जीवन में बहुत पाप किए हैं। आप इन पापों से छूटने का कोई साधारण बिना धन का उपाय बताइए। उसके दीन वचन सुनकर मुनि ने प्रसन्न होकर कहा कि तुम वैशाख शुक्ल की मोहिनी एकादशी का व्रत करो। इससे अनेक जन्मों के किये हुए मेरु पर्वत जैसे समस्त महापाप भी नष्ट हो जाते हैं |
मोहिनी एकादशी की व्रत कथा
प्रभु श्री राम ने एक बार महर्षि वशिष्ठ से कहा कि, हे गुरुदेव! कोई ऐसा व्रत बताइए, जिससे समस्त पाप और दु:ख का नाश हो जाए। मैंने सीताजी के वियोग में बहुत दु:ख भोगे हैं, क्या कोई ऐसा विधान है जिसको करने से किसी और को मेरे जैसा दुख भोगना ना पड़े।
महर्षि वशिष्ठ बोले: हे राम! आपने बहुत सुंदर प्रश्न किया है। आपकी बुद्धि अत्यंत शुद्ध तथा पवित्र है। यद्यपि आपका नाम स्मरण करने से मनुष्य पवित्र और शुद्ध हो जाता है, तब भी लोकहित में यह प्रश्न अच्छा है। वैशाख मास में जो एकादशी आती है उसका नाम मोहिनी एकादशी है। इसका व्रत करने से मनुष्य सब पापों तथा दु:खों से छूटकर मोहजाल से मुक्त हो जाता है। मैं इसकी कथा कहता हूँ। ध्यानपूर्वक सुनो।
सरस्वती नदी के तट पर भद्रावती नाम की एक नगरी में द्युतिमान नामक चंद्रवंशी राजा राज करता था। वहाँ धन-धान्य से संपन्न व पुण्यवान धनपाल नामक वैश्य भी रहता है। वह अत्यंत धर्मालु और विष्णु भक्त था। उसने नगर में अनेक भोजनालय, प्याऊ, कुएँ, सरोवर, धर्मशाला आदि बनवाए थे। सड़कों पर आम, जामुन, नीम आदि के अनेक वृक्ष भी लगवाए थे।
उसके 5 पुत्र थे- सुमना, सद्बुद्धि, मेधावी, सुकृति और धृष्टबुद्धि। इनमें से पाँचवाँ पुत्र धृष्टबुद्धि महापापी था। वह पितर आदि को नहीं मानता था। वह वेश्या, दुराचारी मनुष्यों की संगति में रहकर जुआ खेलता और पर-स्त्री के साथ भोग-विलास करता तथा मद्य-मांस का सेवन करता था। इसी प्रकार अनेक कुकर्मों में वह पिता के धन को नष्ट करता रहता था।
इन्हीं कारणों से त्रस्त होकर पिता ने उसे घर से निकाल दिया था। घर से बाहर निकलने के बाद वह अपने गहने एवं कपड़े बेचकर अपना निर्वाह करने लगा। जब सब कुछ नष्ट हो गया तो वेश्या और दुराचारी साथियों ने उसका साथ छोड़ दिया। अब वह भूख-प्यास से अति दु:खी रहने लगा। कोई सहारा न देख चोरी करना सीख गया।
एक बार वह पकड़ा गया तो वैश्य का पुत्र जानकर चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। मगर दूसरी बार फिर पकड़ में आ गया। राजाज्ञा से इस बार उसे कारागार में डाल दिया गया। कारागार में उसे अत्यंत दु:ख दिए गए। बाद में राजा ने उसे नगरी से निकल जाने का कहा।
वह नगरी से निकल वन में चला गया। वहाँ वन्य पशु-पक्षियों को मारकर खाने लगा। कुछ समय पश्चात वह बहेलिया बन गया और धनुष-बाण लेकर पशु-पक्षियों को मार-मारकर खाने लगा।
एक दिन भूख-प्यास से व्यथित होकर वह खाने की तलाश में घूमता हुआ कौण्डिन्य ऋषि के आश्रम में पहुँच गया। उस समय वैशाख मास था और ऋषि गंगा स्नान कर आ रहे थे। उनके भीगे वस्त्रों के छींटे उस पर पड़ने से उसे कुछ सद्बुद्धि प्राप्त हुई।
वह कौण्डिन्य मुनि से हाथ जोड़कर कहने लगा कि: हे मुने! मैंने जीवन में बहुत पाप किए हैं। आप इन पापों से छूटने का कोई साधारण बिना धन का उपाय बताइए। उसके दीन वचन सुनकर मुनि ने प्रसन्न होकर कहा कि तुम वैशाख शुक्ल की मोहिनी एकादशी का व्रत करो। इससे अनेक जन्मों के किये हुए मेरु पर्वत जैसे समस्त महापाप भी नष्ट हो जाते हैं |
मुनि के वचन सुनकर वह अत्यंत प्रसन्न हुआ और उनके द्वारा बताई गई विधि के अनुसार व्रत किया।
हे राम! इस व्रत के प्रभाव से उसके सब पाप नष्ट हो गए और अंत में वह गरुड़ पर बैठकर विष्णुलोक को गया। इस व्रत से मोह आदि सब नष्ट हो जाते हैं। संसार में इस व्रत से श्रेष्ठ कोई व्रत नहीं है। इसके माहात्म्य को पढ़ने से अथवा सुनने से एक हजार गौदान का फल प्राप्त होता है।
इस व्रत कथा का मूल पाठ भक्ति भारत में प्रकाशित हुआ है। इस पुण्य कार्य के लिए उनका आभार।
मोहिनी एकादशी की आरती
मोहिनी एकादशी भगवान श्री हरि विष्णु की एक लीला को स्मरण करने का त्यौहार है। दुखों से मुक्ति के लिए, पापों से मुक्ति के लिए और शत्रुओं पर विजय प्राप्ति के लिए व्रत एवं पूजा का विधान है। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा की जाती है इसलिए श्री हरि विष्णु की ही आरती की जाएगी। ओम जय जगदीश हरे....।
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